मप्र उपचुनाव विशेष : सागर जिले की हाईप्रोफाइल सुरखी विधानसभा सीट का राजनीतिक विश्लेषण

A+A-
Reset

मप्र में अगले महीने 28 सीटों पर अगले महीने उपचुनाव होने जा रहे हैं, आपके लिए IndiaMIX News प्रत्येक विधानसभा सीट का राजनीतिक विश्लेषण कर रहा है, इसीक्रम में पढिये सागर जिले की हाईप्रोफाइल सुरखी विधानसभा सीट का राजनीतिक विश्लेषण

मप्र उपचुनाव विशेष : सागर जिले की हाईप्रोफाइल सुरखी विधानसभा सीट का राजनीतिक विश्लेषण
मप्र उपचुनाव विशेष : सागर जिले की हाईप्रोफाइल सुरखी विधानसभा सीट का राजनीतिक विश्लेषण 2

सागर जिले की हाईप्रोफाइल सुरखी विधानसभा सीट पर सिंधिया समर्थक व शिवराज सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का सामना करेगी, पूर्व भाजपा नेत्री, हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुई, पारूल साहू। जो इस सीट से गोविंद सिंह राजपूत को हराकर 2013 में विधायक रह चुकी है। यह इनका दूसरा चुनाव होगा और इस बार भी इनका सामना गोविंद सिंह राजपूत से ही है, लेकिन इस बार दोनों के राजनीतिक दलों की अदला-बदली हो गई है।

संक्षिप्त राजनीतिक इतिहास

1977 के बाद यहाँ हुये 10 प्रमुख विधानसभा चुनावों में भाजपा व कांग्रेस में बीच लगभग बराबरी का मुकलबला देखने को मिला है। यहाँ पर दो बार जनता पार्टी व 3 बार भाजपा तथा 5 बार कांग्रेस के विधायक चुने गये हैं। पारूल साहू ( वर्तमान कांग्रेस उम्मीदवार ) यहाँ से भाजपा की अंतिम विधायक थी, जिन्होंने 2013 में कड़े मुकाबले में कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को मात्र 141 मतों के अंतर से हराया था।

यहां से 3 बार गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस के सिंबल पर विधायक चुने गये है, 5 बार चुनाव लड़ा है, दो बार लगातार विधायक चुने गये हैं, जो कि यह बताता है कि यहां कांग्रेस के बल में कितना सबल सहयोग गोविंद सिंह राजपूत का रहा है। इस बार स्थितियाँ बदली हुई है, स्थानीय कांग्रेस को गोविंद सिंह राजपूत के पाला बदलने से हुआ नुकसान, भाजपा में भी अंदरखाने फैला असंतोष व अन्य मुद्दे तथा मिश्रित राजनीतिक इतिहास यह इशारा कर रहा है कि यहाँ मंत्री जी की राह आसान नहीं हैं।

वीडियो विश्लेषण यहाँ देखें

जातीय व अन्य समीकरण

जातीय रूप से जटिल 2 लाख से अधिक मतदाताओं वाली इस विधानसभा में SC व OBC वर्ग तथा मुस्लिम समाज के मत निर्णायक है, जो सम्मिलित रूप से लगभग 1 लाख 20 हजार है। यही कारण की यहाँ से कांग्रेस को हमेशा लाभ रहा है।

यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की अनुमानित संख्या 45 हजार है, इसी तरह पटेल समाज के 36 हजार, दांगी समाज के 31 हजार, लोधी समाज के 20 हजार, ब्राह्मण समाज के 16 हजार, बनिया व जैन समुदाय के 10 हजार, कुर्मी समाज के 13 हजार, यादव समाज के 15 हजार, अनुसूचित जाति के 10 हजार व मुस्लिम समाज के 18 हजार मतदाता इस विधानसभा में महत्वपूर्ण हैं।

यहाँ अब तक गोविंद सिंह राजपूत की जीत को कांग्रेस के पारंपरिक मतदाता ( अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग व मुस्लिम ) आसान करतें थें, लेकिन अब समीकरण बदले हुये है। अब यहाँ भाजपा के पारंपरिक मतों के साथ OBC वर्ग के बड़े मत को अपने पाले में करना गोविंद सिंह राजपूत के लिये चुनौती के समान है। दांगी समाज के मतों का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के पाले में आ सकता है लेकिन यादव व लोधी समाज के मतों को अपने पाले में करना इस बार भाजपा के लिय मुश्किल होगा।

दोनों दल यहां जातीय गणित साधने की जुगत में है, लोधी मतों को अपनी ओर करने के लिये जहां भाजपा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल की मीटिंग्स करवा रही है वही यादव व अन्य ओबीसी मतों के महत्व को देखते हुये हर्ष यादव के साथ चुनाव प्रचार में देखी जा रही है।

बदली हुई स्थिति व जातिगत संतुलन के बीच कांग्रेस की उम्मीदवार पारूल साहू की की राह आसान हो सकती है, लेकिन इसके लिये कांग्रेस को सावधानी से चुनाव लड़ना पड़ेगा।

विधानसभा की वर्तमान राजनीतिक स्थिति

विधानसभा की वर्तमान राजनीतिक स्थिति अजीब है, दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के साथ जनता के बड़े हिस्से को अब तक यह यकीन नहीं हो पा रहा है कि क्या गोविंद सिंह राजपूत भाजपा से चुनाव लड़ सकतें हैं, दशकों तक भाजपा के विरोध की राजनीति करने वाले, क्षेत्र व जिले में भाजपा के विरोध का लंबे अरसे तक चेहरा रहने वाले राजपूत अचानक कमल के सिंबल पर चुनाव लड़ते दिखे तो आश्चर्य तो होगा ही।

मतदाताओं व कार्यकर्ताओं के मध्य बने इस भाव व इसके अंदर छिपे असंतोष को भांप कर कांग्रेस ने पारूल साहू को उम्मीदवार बनाया है। साहू भी गोविंद सिंह राजपूत के विरुद्ध मतदाताओं के मध्य बन रहें इस असन्तोष को भांप कर ही कांग्रेस की ओर से लड़ने को तैयार हुई होगी। बाकी सीटों के उलट यहां की जनता व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के मध्य राजपूत व उनके परिवार के प्रति विश्वास का कारण, ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन नहीं था बल्कि उनके परिवार की लंबी राजनीतिक विरासत थी। जिसपर वो भरोसा करतें थें, आज ये सभी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहें हैं। यही वजह है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का गुस्सा आज पारूल साहू के प्रचार में उनकी एकता के रूप में झलक रहा है, यहाँ कांग्रेस काफी आक्रामक हो पा रही है।

गोविंद सिंह राजपूत अनुभवी नेता है, उनकी अपनी राजनीतिक विरासत है, यही कारण है कि इनके भाजपा में आने के बाद विधानसभा में  प्रभाव रखने वाले इनके पारिवारिक सदस्य, सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता व सरपंचों ने भाजपा की सदस्यता ली, विधानसभा के स्थानीय कांग्रेस सन्गठन को काफी लंबा नुकसान हुआ। लेकिन ठाकुर के प्रति बने असन्तोष के माहौल के कारण यह जल्दी रिपेयर भी हो गया। आज यहाँ का कांग्रेस कार्यकर्ता अन्य विधानसभाओं के मुकाबले अधिक जोश में दिखाई दे रहा है।

यहाँ पर गोविंद सिंह राजपूत व पारुल साहू दोनों के सामने अपनी वर्तमान राजनीतिक पार्टी में भितरघात की चुनौती है। यह चुनौती राजपूत के सामने ज्यादा बड़ी है, क्योंकि इनके भाजपा में आने से क्षेत्र के राजनीतिक संतुलन में बड़ा बदलाव हुआ है, अगर यहाँ राजपूत सफल होतें है कई कद्दावर क्षेत्रीय भाजपा नेताओं को नुकसान है, ऐसे में अविश्वास व भितरघात का डर राजपूत के लिये मुख्य समस्या है।

हालांकि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस की उम्मीदवार पारूल साहू को चुनौती के रूप में नहीं मानतें उनका कहना है कि जनता का समर्थन व भाजपा के संगठन का सहयोग उनके साथ है अतः जीतना निश्चित है। लेकिन बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति चुनौतीपूर्ण हैं इसीलिए ही गोविन्द सिंह राजपूत व्यक्तिगत रूप से हर गांव में पंहुचने का प्रयास कर रहें हैं। रामशिला पूजन रथ निकाल कर राम मंदिर के निर्माण का भी राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास किया गया।

कांग्रेस यहाँ बराबर जोश से प्रचार कर रही है, पारूल साहू दिन में 15-20 पंचायतों में गोविंद सिंह राजपूत के पीछे-पीछे ही पंहुच रही है, यहाँ गोविंद सिंह ने इस्तीफा क्यों दिया व गद्दारी की एक मुद्दा बन गया है। जो नुकसान दायक हो सकता है। सोशल मीडिया पर मतदाता इनसे पूछ रहा है कि कमलनाथ सरकार जा रही थी तो जाने देते तुम तो ना जातें। जिसकी सफाई गोविंद सिंह को लगभग हर सभा में देनी पड़ रही है।

कौन जीत हार के ज्यादा नजदीक है, इसपर टिप्पणी क्षेत्र में चल रहें राजनीतिक मुद्दों को समझने के बाद ही की जा सकती है। 

प्रमुख मुद्दे

लगभग 106 किलोमीटर लंबा व 8 विधानसभा क्षेत्रों से घिरा यह विधानसभा क्षेत्र आज भी मूलभूत संसाधनों को तरस रहा है, दशकों से प्रदेश की राजनीति में चर्चित यह क्षेत्र विकास में इतना पिछड़ा है कि यहाँ का मतदाता आज भी सागर व जबलपुर पर निर्भर है। शिक्षा, स्वास्थ्य व सिंचाई यहाँ की बड़ी मांगें हैं। अतः विकास इस क्षेत्र का मुख्य मुद्दा है। यही कारण है कि यहाँ शिवराज सरकार ने लगातार विभिन्न शिलान्यास व लोकार्पण किये। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी अक्सर अपनी सभाओं में 500 करोड़ के विभिन्न विकास कार्यों को गिनाते है। पारूल साहू भी अपने कार्यकाल में हुये विकास कार्यों को गिनाते हुये नहीं अघाती है।

यहाँ गोविंद सिंह राजपूत का पार्टी छोड़ना भी एक मुद्दा है, जिसको कांग्रेस हवा दे रही है। यह जरूरी भी है, आम जनता जितना यह सवाल पूछेगी उतनी ही गोविंद सिंह राजपूत के लिये स्थितियां मुश्किल होगी।

बेरोजगारी इस क्षेत्र का एक बड़ा मुद्दा है, यहां कोई उद्योग नहीं होने तथा किसानी में भी लाभ नहीं होने के कारण व्यापार नहीं हैं, जिसकी वजह से यहां स्थानीय स्तर पर रोजगार की कमी है। क्षेत्र का अधिकांश युवा वर्ग रोजगार के लिये प्रदेश या प्रदेश के बाहर जाता है।

किसानी यहां का अन्य प्रमुख मुद्दा है। यहाँ के लोग सिंचाई के लिये एक समग्र परियोजना की मांग लंबे समय से कर रहें है। यहां किसान कर्ज माफी को लेकर मिश्रित माहौल है लेकिन फसल बीमा के भुगतान व मुआवजे को लेकर रोष है। केंद्र सरकार द्वारा किये गये हालिया कृषि सुधारों को लेकर भी क्षेत्र में मिश्रित रुझान है, यहाँ के किसान वर्ग को समझाना भाजपा के सामने एक चुनौती के समान है।

सुरखी की सभी चुनावी रगों को मापने के बाद यह कहा जा सकता है कि यहाँ का चुनावी पारा हाई है, भाजपा के प्रत्याशी व शिवराज सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की राह आसान नहीं है। यहाँ इनको कड़े मुकाबले का सामना कर पड़ सकता है।

Rating
5/5

ये खबरे भी देखे

 

इंडिया मिक्स मीडिया नेटवर्क २०१८ से अपने वेब पोर्टल (www.indiamix.in )  के माध्यम से अपने पाठको तक प्रदेश के साथ देश दुनिया की खबरे पहुंचा रहा है. आगे भी आपके विश्वास के साथ आपकी सेवा करते रहेंगे

Registration 

RNI : MPHIN/2021/79988

MSME : UDYAM-MP-37-0000684

मुकेश धभाई

संपादक, इंडियामिक्स मीडिया नेटवर्क संपर्क : +91-8989821010

©2018-2023 IndiaMIX Media Network. All Right Reserved. Designed and Developed by Mukesh Dhabhai

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00