INDIAMIX
Voice of Democracy

रतलाम : देशभर में चर्चा रतलाम के लक्ष्मीमाता मंदिर की, माणकचौक में सजता आभूषणों से भव्य दरबार

तत्कालिन राजा के स्वप्न में आई थी महालक्ष्मी माता, परम्परा में अब तक सजता आ रहा है नोटो की लड़ियों से मन्दिर, लक्ष्मी माता के भव्य धनाढ़्य स्वरूप को सिद्ध करता माणक चौक का यह मंदिर, मन्दिर की पृष्ठभूमि पर चल रहा है सोनी टीवी पर धारावाहिक

रतलाम : देशभर में चर्चा रतलाम के लक्ष्मीमाता मंदिर की, माणकचौक में सजता आभूषणों से भव्य दरबार
माता लक्ष्मी का दरबार.

रतलाम/इंडियामिक्स : देश के हर कोने में दीवाली के महापर्व की धूम इस वक्त बनी हुई है। ऐसे में मध्यप्रदेश के रतलाम शहर का एक मंदिर पिछले कई सालों से अपनी भव्य साज सज्जा से सुर्खियों में बना हुआ है। हम बात कर रहे है रतलाम के मुख्य बाज़ार माणकचौक स्थित श्री महालक्ष्मी माता मंदिर की। जहाँ दीवाली के पहले करोड़ो रूपये की नकदी व करोड़ो के सोने चाँदी के आभूषणों से दरबार को सजाया जाता है। माता के गर्भगृह से लेकर मन्दिर के मुख्य दरवाजे तक हर तरफ केवल धन दौलत का अम्बार देख दर्शन करने वाला हर भक्त आश्चर्य में पड़ जाता है और नतमस्तक हो जाता है। लोग अटूट विश्वास के साथ दूर दराज से आकर अपनी जमा पूँजी व आभूषण माता के दरबार मे भेंट कर देते हैं जो कि साज सज्जा में उपयोग में लायी जाती है। मन्दिर की व्यवस्था पर प्रशासन नजर रखता है और यहाँ पुलिस की चाकचौबंद व्यवस्था होती है। मन्दिर में इस वर्ष 2 करोड़ से अधिक की नगदी व 3 करोड़ से अधिक के हीरे जेवरात से साज सज्जा हुई है। आपको बता दे कि रतलाम शहर के माता लक्ष्मी मन्दिर की पृष्ठभूमि पर सोनी सब टीवी पर धारावाहिक भी प्रसारित किया जा रहा है, जिसके कारण अब यह मंदिर और अधिक लोकप्रिय हो चुका है। पढ़े आगे –

कहाँ से आता है इतना धन ? :-

महालक्ष्मी माता के इस मंदिर में लोग अपने सभी सोने के आभूषण व नोटो को मन्दिर में समर्पित कर देते हैं। मन्दिर में जमा इन आभूषण व नोट से दीपोत्सव के पांच दिनों तक दरबार को भव्य रूप से सजाया जाता है। लोगों में मान्यता है कि ऐसा करने से उनके धन में इजाफा होता है। मंदिर में श्रद्धालु सोने-चांदी के आभूषण तथा नोटों की गड्डियां लेकर पहुंचते हैं जिनको एक रजिस्टर में लिखा जाता है और उसका टोकन दे दिया जाता है। भाईदूज के बाद इसी टोकन के आधार पर जिस भक्त का जितना नोट व आभूषण होता है उसे वापस लौटा दिये जाते हैं।

धन होता है दोगुना :-

सजावट के बाद धनतेरस के दिन विधि-विधान से मां महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। रतलाम ही नहीं आसपास के अन्य राज्य व शहर के लोगों की भी मान्यता है कि रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में श्रृंगार के लिए लाए गए आभूषण और धन से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और वर्ष भर में धन दोगुना हो जाता है। महालक्ष्मी मंदिर की सजावट धनतेरस के आठ दिन पहले से ही प्रारंभ कर दी जाती है। इस दौरान लोग यहां सोने एवं चांदी के सिक्के भी भारी मात्रा में लेकर पहुंचते है।

अनूठी परम्परा का यह है इतिहास :-

महालक्ष्मी मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि रतलाम शहर पर राज करने वाले तत्कालीन राजा को महालक्ष्मी माता ने स्वप्न दिया था। इसके बाद से उन्होंने ही यह परंपरा प्रारंभ की थी जो आज तक चल रही है। इस मंदिर की अनूठी पंरपरा के चलते ही यह देश का शायद पहला एवं एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर धन की देवी लक्ष्मी की सजावट सिर्फ धन-वैभव अर्थात आभूषण और नोटों से की जाती है। देश विदेश से श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते है।

रतलाम : देशभर में चर्चा रतलाम के लक्ष्मीमाता मंदिर की, माणकचौक में सजता आभूषणों से भव्य दरबार
इस तरह सजा है धन से दरबार.
Leave A Reply

Your email address will not be published.