INDIAMIXINDIAMIXINDIAMIX
  • देश
  • मध्यप्रदेश
    • रतलाम
    • देवास
    • उज्जैन
    • सीहोर
    • इंदौर
    • भोपाल
    • झाबुआ
    • धार
    • सतना
    • रीवा
  • राज्य
    • गुजरात
      • दाहोद
    • उत्तरप्रदेश
      • लखनऊ
    • राजस्थान
      • जयपुर
      • उदयपुर
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • दुनिया
  • अन्य
    • YouTube
    • Story Archives
    • टेक्नोलॉजी
    • विडियो
    • सेहत/घरेलु नुस्खे
    • धर्म/ज्योतिष
    • कला/साहित्य
    • खेल
Search
  • About Us
  • Cookie Policy
  • Support Us
  • Fact Checking Policy
  • Ethics Policy
  • Term of Use
  • Corrections Policy
  • Privacy Policy
  • Contact Us
© 2018-2025 IndiaMIX Media Network., All Rights Reserved. Designed by Kamakshi Web +91-8959521010
Reading: अभाव : भारत में अनाथ बच्चों को गोद लेने में पिछड़े लोग, लम्बी प्रक्रिया, वंशवाद और अब कोरोना बना कारण, पढ़िए विस्तृत लेख –
Share
Notification
Font ResizerAa
INDIAMIXINDIAMIX
Font ResizerAa
  • देश
  • मध्यप्रदेश
  • राज्य
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • दुनिया
  • अन्य
Search
  • देश
  • मध्यप्रदेश
    • रतलाम
    • देवास
    • उज्जैन
    • सीहोर
    • इंदौर
    • भोपाल
    • झाबुआ
    • धार
    • सतना
    • रीवा
  • राज्य
    • गुजरात
    • उत्तरप्रदेश
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • दुनिया
  • अन्य
    • YouTube
    • Story Archives
    • टेक्नोलॉजी
    • विडियो
    • सेहत/घरेलु नुस्खे
    • धर्म/ज्योतिष
    • कला/साहित्य
    • खेल
Follow US
  • About Us
  • Cookie Policy
  • Support Us
  • Fact Checking Policy
  • Ethics Policy
  • Term of Use
  • Corrections Policy
  • Privacy Policy
  • Contact Us
© 2018-2025 IndiaMIX Media Network., All Rights Reserved. Designed by Kamakshi Web +91-8959521010
INDIAMIX > देश > अभाव : भारत में अनाथ बच्चों को गोद लेने में पिछड़े लोग, लम्बी प्रक्रिया, वंशवाद और अब कोरोना बना कारण, पढ़िए विस्तृत लेख –
देश

अभाव : भारत में अनाथ बच्चों को गोद लेने में पिछड़े लोग, लम्बी प्रक्रिया, वंशवाद और अब कोरोना बना कारण, पढ़िए विस्तृत लेख –

IndiaMIX
Last updated: 15/01/2022 12:14 AM
By
INDIAMIX - Editor
Share
16 Min Read
SHARE

कानूनी तौर पर गोद लेने के बारे में लोगों को जानकारी नहीं, भारत में 3 करोड़ अनाथ बच्चे, भारत में बच्चों की तस्करी को बढ़ावा

अभाव : भारत में अनाथ बच्चों को गोद लेने में पिछड़े लोग, लम्बी प्रक्रिया, वंशवाद और अब कोरोना बना कारण, पढ़िए विस्तृत लेख -
PC :- CARA.


इंडियामिक्स/दिल्ली : आधुनिक भारत में आज भी बच्चों को गोद लेने में लोग कम सहज दिखाई देते हैं। बावजूद इसके कि भारत में ऐसे कई माता-पिता हैं जिनके बच्चे नहीं है। भारत में चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स इनफार्मेशन एंड गाइडलाइन सिस्टम (CARINGS) के तहत बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन कर दी गई है। ऑनलाइन प्रक्रिया होने से यह प्रोसेस पूरी तरह से लोगों की पहुंच के साथ ही पारदर्शी है। हम अडॉप्शन के लिए अपनाई जाने वाली प्रोसेस, डॉक्यूमेंट और अडॉप्शन के निष्कर्ष पर बात करेंगे।
“कारा (CARA)” के मुताबिक साल 2020-21 में साल 2015-16 के बाद से सबसे कम बच्चों को गोद लिया गया। इस दौरान 3,142 बच्चों को ही अडॉप्ट किया गया, जबकि साल 2019-20 में 3,351 बच्चों को गोद लिया गया था। दरअसल “कारा (CARA – Central Adoption Resource Authority)” भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक शाखा है, जो कि दिल्ली से संचालित होती है।
किसी व्यक्ति या दंपत्ति को बच्चा गोद लेने के लिए संपूर्ण जानकारी ऑनलाइन वेबसाइट www.cara.nic.in पर उपलब्ध है।

लोगो में जानकारी का अभाव :-

हालांकि इस मामले में जानकारो का कहना है की सबसे बड़ी परेशानी कानूनी तौर पर गोद लेने के बारे में लोगों को जानकारी नहीं होना है। सबसे पहले अडॉप्शन पॉलिसी के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। भारत में बहुत सी सरकारी योजनाओं का प्रचार दिखता है, लेकिन अडॉप्शन पॉलिसी का कोई प्रचार नज़र नहीं आता। अन्य योजनाओं की तरह इसे भी बढ़ावा देने की जरूरत है।
दरअसल अब भी भारतीय समाज की सोच और मान्यताएं बच्चों को गोद लेने के पक्ष में नहीं है। भारत में वंश और परिवार की भावना मजबूत है। जिसके चलते अगर लोग बच्चों को गोद लेने के बारे में सोचते भी हैं, तो ज्यादातर वे अपने ही रिश्तेदारों के बच्चों को गोद लेते हैं। अधिकांश बार यह देखा जाता है की यह प्रक्रिया कानूनी नहीं होती और यह बात रिकॉर्ड में भी नहीं आती। जो आगे चलकर बाद में कई विवादों की जड़ बनती है।
जानकारो के मुताबिक गोद लेने वाले सभी माता-पिता की एक कम्युनिटी डेवलप करने की आवश्यकता है ताकि यह कदम सामान्य बन सके और ऐसे लोग गोद लेने की प्रक्रिया में एक-दूसरे की मदद भी कर सकें।

भारत में 3 करोड़ अनाथ बच्चे :-


कोरोना महामारी से बच्चों को गोद लेने और उनकी देखरेख पर पड़े प्रभाव के बारे में प्रोफेसर रत्ना वर्मा और रिंकू वर्मा ने एक रिसर्च पेपर लिखा है, जिसमें 2021 तक भारत में अनाथ और छोड़ दिए गए बच्चों की कुल संख्या करीब 3 करोड़ बताई गई। इनमें से ज्यादातर बच्चों को उनके मां-बाप ने गरीबी के चलते छोड़ दिया। ये बच्चे कई बार बालश्रम, ट्रैफिकिंग और यौन शोषण का शिकार बनते हैं। इतनी बड़ी संख्या में अनाथ बच्चे होने के बाद भी भारत का अडॉप्शन रेट बेहद कम है।

क्या कोरोना बना कारण? :-


सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) के मुताबिक साल 2020-21 के आंकड़े पांच साल के सबसे निचले स्तर पर हैं। इस गिरावट के लिए महामारी को जिम्मेदार माना जा रहा है। 2019-20 में 3,351 बच्चों को गोद लिया गया था, जबकि 2020-21 में 3,142 बच्चों को ही गोद लिया गया। साल 2015-16 के बाद से यह आंकड़ा सबसे कम है। वहीं साल 2015-16 में सिर्फ 3,011 बच्चों को ही गोद लिया गया था।
महाराष्ट्र महिला और बाल विकास विभाग के मुताबिक राज्य में गोद लिए जाने वाले बच्चों की संख्या एक-तिहाई से भी ज्यादा घट गई है। अडॉप्शन एजेसियां, जानकार और कारा स्टीअरिंग कमेटी के सदस्य इसकी वजह लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध और सीमित प्रशासकीय प्रक्रिया को बता रहे हैं।

मानव तस्करी की आशंका :-


नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) के मुताबिक 1 अप्रैल, 2020 से 5 जून, 2021 के बीच कोरोना महामारी के दौरान भारत में 3,621 बच्चे अनाथ हुए हैं, जबकि लांसेट पत्रिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा 1 लाख से भी ज्यादा है। इनसे जुड़ी कई पोस्ट वायरल भी हुई, जिनमें ऐसे बच्चों को गोद लेने की अपील की जा रही थी।
इस पर कई संस्थाओं ने चिंता जताई थी। उन्हें डर था कि ऐसी गतिविधियां भारत में बच्चों की तस्करी को बढ़ावा दे सकती हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया कि भारत के अलग-अलग राज्यों में कोरोना के दौरान बच्चों की तस्करी वाकई बढ़ गई है और वायरस के प्रकोप के चलते अनाथ हुए बच्चे 2 से 5 लाख रुपये में बेचे जा रहे हैं।
उस समय कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बच्चों को गैरकानूनी तरीके से बेचने के लिए कुछ एनजीओ को भी जिम्मेदार ठहराया गया। रिपोर्ट में यह कहा गया था कि ये ट्रैफिकर सोशल मीडिया के माध्यम से ग्राहक इकठ्ठा कर रहे हैं।
इन सब बिंदुओं का निष्कर्ष यह है कि कोरोनाकाल के दौरान अनाथ बच्चों की संख्या बढ़ने के बाद भी भारत में साल 2020-21 में कानूनी रूप से बच्चों को गोद लेने की दर कम हो गई, जो कि चिंता का विषय है।

नियमों की कुछ मुश्किलें :-


डॉ. रत्ना वर्मा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैनेजमेंट रिसर्च (IIHMR) के स्कूल ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। कोरोना के प्रभाव के बारे में उनका कहना है की “भारत में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया पहले भी आसान नहीं थी, कोरोना के बाद यह और भी मुश्किल हो चुकी है। गोद लेने वाले अभिभावकों को अपनी शादी के प्रमाण साथ ही कई डॉक्युमेंट्स देने होते हैं जिन्हें बाद में अडॉप्शन अथॉरिटी वैरिफाई भी करती है, इसमें काफी समय लगता है। अब कोरोना के चलते सरकारी कार्यालयों का काम बाधित हुआ है, जिससे इन डॉक्युमेंट्स के बनने और मिलने में काफी देर हो रही है।”

अडॉप्शन की प्रक्रिया लंबी :-


डॉ. रत्ना वर्मा बताती हैं, “इन कागजात के वैरिफिकेशन के बाद माता-पिता को अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारियां देनी होती हैं जिसके बाद एक कुशल काउंसलर अभिभावकों से मिलकर एक रिपोर्ट तैयार करता है, जिसके आधार पर बच्चे को गोद लिए जाने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। कोरोना से जुड़े प्रतिबंधों के चलते इन काउंसिलरों का लोगों के घर जाना और उनसे मिलना संभव नहीं रह गया है।”
“कोरोना ने संभावित माता-पिता की स्थितियों में भी कई बदलाव किए हैं। लोग आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं, जिससे वे एक और सदस्य की देख-रेख करने में खुद को समर्थ नहीं पा रहे। इसके अलावा कोरोना ने कई अनिश्चितताओं को बढ़ाया है और लोग मानसिक रूप से बच्चा अडॉप्ट करने के लिए आत्मविश्वास नहीं हासिल कर पा रहे हैं।”

1956 से 2015 के बीच हुए कानूनी बदलाव :-


भारत में बच्चों को गोद लेने से जुड़े कानून हिंदू अडॉप्शन एंड मेंटिनेंस एक्ट-1956(HAMA) और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट-2000(JJ Act) हैं। JJ एक्ट आने से पहले गैर हिंदू सिर्फ गार्डियंस एंड वार्ड एक्ट, 1980 (GWA) के तहत ही बच्चों को गोद ले सकते थे। हिंदुओं पर लागू होने वाले कानून HAMA से अलग GWA व्यक्ति विशेष को बच्चे का सिर्फ कानूनी अभिभावक बनाता है, प्राकृतिक नहीं। ऐसे में बच्चे के 21 साल का होने पर अभिभावक का दायित्व समाप्त हो जाता है।

गोद लेने की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव 2015 में आया, जब चाइल्ड अडॉप्शन रिसॉर्स इन्फॉर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (CARINGS) की शुरुआत हुई। यह गोद लेने योग्य बच्चों और संभावित माता-पिता के लिए एक केंद्रीय डेटाबेस है।
CARINGS का लक्ष्य देरी के बिना ज्यादा से ज्यादा बच्चों की गोद लेने की प्रक्रिया को पूरा करना है। फिर भी इस गोद लेने के सिस्टम में कई कमियां देखने को मिलती है। वेबसाइट पर गोद लेने वालों की संख्या कुल गोद लेने योग्य बच्चों के मुकाबले 10 गुना से भी ज्यादा है।

अडॉप्शन के सामान्य नियम :-

  • भारत में रहने वाले बच्चे को भारतीय नागरिक, एनआरआई या विदेशी नागरिक गोद ले सकता है। इन तीनों केस में अलग-अलग गोद लेने की प्रक्रिया है।
  • किसी भी लिंग और मैरिटल स्टेटस वाला व्यक्ति बच्चा अडॉप्ट करने के योग्य होता है। लेकिन जहां महिलाएं किसी ही बच्चे को गोद ले सकती हैं लेकिन सिंगल पुरुष सिर्फ एक लड़के को ही गोद ले सकता है।
  • अगर कोई कपल बच्चे को गोद लेता है तो इस स्थिति में कपल की शादी को कम से कम दो स्थिर साल हुए हो और बच्चे को अडॉप्ट करने का फैसला दोनों की सहमति से हो।
  • बच्चे और उसे गोद लेने वाले इंसान के बीच 25 साल से कम का अंतर नहीं होना चाहिए।

गोद या अडॉप्शन की प्रक्रिया :-

मध्यप्रदेश रतलाम के जिला कार्यक्रम अधिकारी (महिला बाल विकास) रजनीश सिन्हा ने गोद लेने की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि पेरेंट्स को सबसे पहले वेबसाइट carings.nic.in पर गोद लेने के इच्छुक आवेदक के तौर पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके अलावा भावी माता-पिता को कारा (CARA) द्वारा प्रमाणित नजदीकी स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी का चयन एचएसआर(HSR) हेतु कराना होगा। इसके बाद रजिस्ट्रेशन फॉर्म सफलतापूर्वक जमा करने के लिए कई दस्तावेज जैसे उनकी आर्थिक स्थिति, बीमारी, शादी का स्टेटस, एड्रेस प्रूफ, आयु के प्रमाण पत्र आदि वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे। सभी दस्तावेज अपलोड कर दिए जाने के बाद आवेदन विचार के लिए तैयार होता है।

अब गोद लेने के इच्छुक व्यक्ति या दंपत्ति की काउंसलिंग और इंटरव्यू एचएसआर तैयार करने हेतु लिया जाता है। एक सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा दत्तक माता-पिता के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा की जाती है। यह जानकारी जरूरी दस्तावेज जमा करने के 30 दिन के भीतर इकट्ठा कर ली जाती है। एक बार पूरी हो जाने के बाद यह 3 साल की अवधि के लिए वेध होती है। यदि इस समय तक सब कुछ नियम के मुताबिक सही पाया जाता है तो फिर प्रतीक्षाकाल (WAITING TIME) शुरू होता है।

वरिष्ठता क्रम (seniority) अनुसार ऑनलाइन पोर्टल पर ही उपयुक्त बच्चा भावी माता-पिता को रेफर किया जाता है। अर्थात आप किसी मनपसंद या चॉइस के बच्चे को गोद नहीं ले सकेंगे। यह एक तरह से लॉटरी सिस्टम है। यदि दंपत्ति बच्चे को गोद लेने के लिए सहमति देते हैं तो उनको कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के बाद बच्चे को सौंप दिया जाता है। इसके बाद एजेंसी का वकील दत्तक माता-पिता की ओर से कुटुंब न्यायालय अथवा न्यायालय में याचिका दाखिल करता है, जिसके तहत बच्चा गोद लेने की मंजूरी मिल जाती है। दत्तक माता-पिता रजिस्टर ऑफिस में गोद लेने के प्रमाण पत्र को रजिस्टर करवाते हैं और जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते हैं।

भारत में बच्चे को गोद लेने के नियम :-


आप पूरे भारत के किसी भी हिस्से में बच्चा गोद ले सकते हैं लेकिन दत्तक माता-पिता के बारे में इंक्वायरी उसी राज्य की एजेंसी करती है जहां आप रह रहे हैं। दत्तक माता-पिता और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच कम से कम 25 वर्ष का अंतर होना चाहिए। भावी माता-पिता की अधिकतम संयुक्त आयु अनुरूप निर्धारित उम्र का बच्चा ही गोद लिया जा सकता है। गोद लेने से पहले शादीशुदा जोड़े के लिए जरूरी है कि उनकी शादी के कम से कम 2 साल हो चुके हो, मतलब उन्होंने स्थाई वैवाहिक संबंधों के कम से कम 2 साल पूरे कर लिए हो। एक अकेली महिला लड़का या लड़की ले सकती है लेकिन ध्यान रहे कोई अकेला पुरुष किसी लड़की को गोद नहीं ले सकता है। गोद लेने वाले माता-पिता किसी भी धर्म, जाति के अनिवासी भारतीय और यहां तक कि भारत के बाहर रहने वाले गैरभारतीय भी हो सकते हैं। वे सभी जुवेनाइल जस्टिस एक्ट केयर एंड प्रोटक्शन आफ चिल्ड्रन 2015 तथा दत्तक ग्रहण नियम 2017 के तहत एक बच्चे को अपनाने के पात्र हैं। दिव्यांग भी अपनी अक्षमता की प्रकृति और सीमा के आधार पर बच्चा गोद लेने के पात्र हैं। जिन लोगों के पहले से ही 3 या इससे अधिक बच्चे हैं वे लोग गोद लेने के लिए योग्य नहीं हैं। हालांकि विशेष स्थिति में वह भी बच्चा गोद ले सकते हैं।

गोद लेने के लिए जरूरी दस्तावेज :-


दत्तक पेरेंट्स का पहचान का प्रमाण आधार कार्ड, मतदाता कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र, आय का प्रमाण, माता-पिता की फिटनेस का प्रमाण पत्र, निवास का प्रमाण, पारिवारिक फोटोग्राफ, शादी का प्रमाण पत्र, अगर गोद लेने वाला सिंगल पैरंट है तो कोई दुर्घटना हो जाने की स्थिति में बच्चे की देखभाल करने के लिए एक रिश्तेदार की सहमति तथा ऐसे दो व्यक्तियों के सिफारिश पत्र जो परिवार को अच्छी तरह से जानते हैं वे करीबी रिश्तेदार नहीं होना चाहिए।

डिस्क्लेमर

 खबर से सम्बंधित समस्त जानकारी और साक्ष्य ऑथर/पत्रकार/संवाददाता की जिम्मेदारी हैं. खबर से इंडियामिक्स मीडिया नेटवर्क सहमत हो ये जरुरी नही है. आपत्ति या सुझाव के लिए ईमेल करे : editor@indiamix.in

Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp Threads
Share
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Cry0
Surprise0
Angry0
Embarrass0
IndiaMIX
ByINDIAMIX
Editor
Follow:
News Desk Contact : +918989821010
Previous Article उत्तरप्रदेश : चुनाव आते ही बरसाती मेंढक की तरह फुदकते दलबदलू नेता उत्तरप्रदेश : चुनाव आते ही बरसाती मेंढक की तरह फुदकते दलबदलू नेता
Next Article मध्यप्रदेश : "यह घर बिकाऊ है" आख़िर मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में हिन्दूओ ने घरों के बाहर क्यो लिखा ऐसा ? मध्यप्रदेश : “यह घर बिकाऊ है” आख़िर मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में हिन्दूओ ने घरों के बाहर क्यो लिखा ऐसा ?
Leave a review Leave a review

Leave a Review Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Please select a rating!

प्रशासनिक अधिकारियो से, नेताओ से और पुलिस से आपका निजी लगाव आपकी पत्रकारिता को निष्पक्ष नहीं रहने देता

मुकेश धभाई, संपादक, इंडियामिक्स

Stay Connected

FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
YoutubeSubscribe
WhatsAppFollow
Google NewsFollow
ThreadsFollow
RSS FeedFollow

Latest News

राजनीति: बिहार में शून्य के पहाड़ पर समाजवादी पार्टी
राजनीति: बिहार में शून्य के पहाड़ पर समाजवादी पार्टी
राजनीति
30/08/2025
AI के दुरुपयोग से तेज बने Cyber Criminal, सुरक्षा तंत्र को रक्षात्मक नहीं आक्रमक होना पड़ेगा!
AI के दुरुपयोग से तेज बने Cyber Criminal, सुरक्षा तंत्र को रक्षात्मक नहीं आक्रमक होना पड़ेगा!
टेक्नोलॉजी
30/08/2025
राजनीति: योगी के पास संभल हिंसा-डेमोग्राफी चेंज की रिपोर्ट आते ही सियासत शुरू
राजनीति: योगी के पास संभल हिंसा-डेमोग्राफी चेंज की रिपोर्ट आते ही सियासत शुरू
उत्तरप्रदेश
28/08/2025
राजनीति: लखनऊ में आयेगा राजनाथ के बाद बेटे नीरज का दौर !
राजनीति: लखनऊ में आयेगा राजनाथ के बाद बेटे नीरज का दौर !
राजनीति
28/08/2025
राजनीति: माया राजनीति से मोह भंग की शिकार नहीं, बस सही समय का इंतजार !
राजनीति: माया राजनीति से मोह भंग की शिकार नहीं, बस सही समय का इंतजार !
राजनीति
27/08/2025

पत्रकारिता आपकी जान ले सकती हैं, लेकिन जब तक आप इसमें हैं, तब तक ये आपको जीवित रखेगी.

होरेस ग्रीले
  • About Us
  • Cookie Policy
  • Support Us
  • Fact Checking Policy
  • Ethics Policy
  • Term of Use
  • Corrections Policy
  • Privacy Policy
  • Contact Us
INDIAMIXINDIAMIX
Follow US
© 2018-2025 IndiaMIX Media Network., All Rights Reserved. Designed by Kamakshi Web +91-8959521010
adbanner