साहित्य : सफलता का नवीन मंत्र : “प्रारम्भ”

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डॉ. रीना रवि मालपानी द्वारा लिखित कविता “सफलता का नवीन मंत्र: प्रारम्भ”, जिसमे जीवन में सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व “प्रारम्भ” की महत्ता बताई गयी है .

साहित्य : सफलता का नवीन मंत्र : &Quot;प्रारम्भ&Quot;

साहित्यमिक्स / इंडियामिक्स न्यूज़

प्रारम्भ एक मंजुल मंत्र है, सफलता पाने का यह अद्भुत यंत्र है।
प्रारम्भ दृढ़-निश्चय को बताता है, प्रथम सोपान की ओर प्रशस्त कराता है।
प्रारम्भ की भूमिका ही निर्णायक है, सफलता की कड़ी में यह सहायक है।
प्रारम्भ में संकल्प का भाव निहित है, सफलता के कदमों को करता यह चिन्हित है।
प्रारम्भ ही अनवरत लक्ष्य साधने का साध्य है, सफलता की श्रृंखला में यह तो आराध्य है।
प्रारम्भ में निश्चयात्मकता की पराकाष्ठा है, सफलता की दिशा में यह कर्तव्यनिष्ठा है।


प्रारम्भ ही अंत के छोर पर ले जाती है, विजय लक्ष्य को आसान बनाती है।
प्रारम्भ दृढ़ निश्चय शक्ति का उन्नयन है, कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास का समन्वय है।
प्रारम्भ करना सफलता का एक पायदान है, उत्कर्ष को प्राप्त करने का यह वरदान है।
प्रारम्भ करना ही अर्द्धविजय सुनिश्चित कराता है, दृढ़ इच्छाशक्ति से देदीप्यमान बनाता है।
प्रारम्भ सफलता का प्रचंड प्रवाह है, इसमे ऊर्जा की शक्ति अथाह है।
प्रारम्भ में आगे बढ्ने की सतत चाह है, लगातार कदम बढ़ाना यही तो राह है।

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