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Reading: राजनीति: ‘मोदी का हनुमान’ अब खुद बनना चाहता है बिहार का राम 
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INDIAMIX > राजनीति > राजनीति: ‘मोदी का हनुमान’ अब खुद बनना चाहता है बिहार का राम 
राजनीति

राजनीति: ‘मोदी का हनुमान’ अब खुद बनना चाहता है बिहार का राम 

'Modi's Hanuman' now himself wants to become Bihar's Ram

SANJAY SAXENA
Last updated: 06/06/2025 5:34 PM
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SANJAY SAXENA
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9 Min Read
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'Modi's Hanuman' now himself wants to become Bihar's Ram

न्यूज़ डेस्क/इंडियामिक्स बिहार की राजनीति एक बार फिर बदलाव के मुहाने पर खड़ी है और इस बार केंद्र में हैं चिराग पासवान, जो अपने पिता राम विलास पासवान के अधूरे सपनों को पूरा करने की ओर तेजी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। हर पिता की यह ख्वाहिश होती है कि उसका बेटा उसकी विरासत को आगे बढ़ाए और जब बात राम विलास जैसे करिश्माई नेता की हो, जिन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी खास पहचान बनाई, तो यह जिम्मेदारी और भी बड़ी हो जाती है। चिराग पासवान यह बात न सिर्फ समझते हैं, बल्कि इसे अपनी राजनीतिक यात्रा का मुख्य आधार भी बना चुके हैं। अक्सर वह यह कहते पाए जाते हैं कि वह अपने पिता के दिखाए रास्ते पर चलना चाहते हैं, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि चिराग की राजनीतिक समझ और महत्वाकांक्षा का दायरा कहीं अधिक व्यापक है। चिराग अब बिहार के राजनीतिक मौसम का अध्ययन करने के साथ-साथ उसकी दिशा बदलने का माद्दा भी रखते हैं।

जब 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में चिराग ने एनडीए के भीतर रहते हुए भी जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह नौजवान नेता इतनी जल्द फिर से भाजपा के साथ खड़ा हो जाएगा। पर आज की तारीख में वह केंद्र सरकार में मंत्री हैं और भाजपा के साथ एक बार फिर मजबूत रिश्तों की बुनियाद पर खड़े हैं। यह वही चिराग हैं जो कभी कांग्रेस के साथ गठबंधन करते थे और 2005 में उन्होंने मुस्लिम मुख्यमंत्री की मांग कर सनसनी फैला दी थी। लेकिन अब वह भाजपा की विचारधारा के साथ कदमताल कर रहे हैं। यह एक चौंकाने वाला लेकिन रणनीतिक बदलाव है। यह बदलाव सिर्फ सत्ता की राजनीति नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक रोडमैप है जिसमें चिराग खुद को बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं।

हालांकि चिराग पासवान ने अभी तक सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं जताई है, लेकिन उनकी पार्टी के नेता लगातार यह मांग कर रहे हैं और चिराग खुद भी इन अटकलों को खारिज करने के बजाय हवा देते नजर आते हैं। बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखें तो यह स्पष्ट होता है कि नीतीश कुमार अब उस ऊर्जा और प्रभाव के साथ शासन नहीं कर पा रहे जो कभी उनकी पहचान थी। उनके बार-बार के पाला बदलने और अप्रत्याशित फैसलों ने उनकी साख को नुकसान पहुंचाया है। भाजपा के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि वह एक नया चेहरा सामने लाए जो बिहार में न सिर्फ गठबंधन का नेतृत्व कर सके, बल्कि जनता में भी उसे स्वीकार्यता मिले। ऐसे में चिराग पासवान एकमात्र विकल्प की तरह सामने आते हैं जो तेजस्वी यादव को चुनौती दे सकते हैं और नीतीश कुमार का स्थान ले सकते हैं।

तेजस्वी यादव फिलहाल महागठबंधन के सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं। उनका युवा चेहरा, सामाजिक न्याय की राजनीति और पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन उन्हें मजबूत बनाता है। लेकिन तेजस्वी की लोकप्रियता अगर 36.9% है तो चिराग भी 10.6% पर हैं, जो कि बिना किसी औपचारिक मुख्यमंत्री पद के दावेदारी के ये आंकड़ा काफी मजबूत माना जा सकता है। नीतीश कुमार खुद अब 18.4% पर हैं, जो यह दिखाता है कि उनकी लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई है। चिराग और तेजस्वी दोनों हमउम्र हैं, दोनों युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं और दोनों ही अगड़े-पिछड़े वर्गों में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन चिराग को ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ अभियान से जो अतिरिक्त बढ़त मिली है, वह उन्हें एक अलग पहचान देती है।

चिराग पासवान की राजनीतिक समझ इस बात से भी जाहिर होती है कि वह गठबंधन की राजनीति को बारीकी से समझते हैं। वह जानते हैं कि भाजपा को बिहार में समर्थन की जरूरत है, और वह यह भी जानते हैं कि भाजपा को नीतीश कुमार जैसे नेता से धीरे-धीरे पीछा छुड़ाना है। ठीक वैसे ही जैसे उसने असम में हिमंत बिस्वा सरमा और महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को अवसर दिया। चिराग को इस बात की भी पूरी समझ है कि भाजपा तब तक नीतीश के साथ रहेगी जब तक उसे कोई नया विकल्प नहीं मिल जाता, और वह खुद को उसी विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह रणनीति है, जो समय आने पर चिराग को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा सकती है।

चिराग पासवान अब सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि संभावनाओं के प्रतीक बन चुके हैं। वह रिजर्व सीट से नहीं, बल्कि सामान्य विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। यह उनका आत्मविश्वास है, जो उन्हें बिहार के राजनीतिक केंद्र में खड़ा करता है। केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी अगर वह विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं, तो यह संकेत है कि वे दिल्ली से पटना की ओर एक नई राजनीतिक यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। यह यात्रा सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पासवान समुदाय और भाजपा के लिए भी नए राजनीतिक समीकरण रच सकती है।

भाजपा के भीतर भी एक लंबे समय से नीतीश कुमार के विकल्प की तलाश चल रही है। सम्राट चौधरी जैसे नेता भी सामने लाए गए लेकिन वे नीतीश की लव-कुश सोशल इंजीनियरिंग को चुनौती देने में सक्षम नहीं रहे। ऐसे में चिराग पासवान न सिर्फ पासवान समुदाय के वोटों को साध सकते हैं, बल्कि पिछड़ा और दलित वर्ग में भी एक नई उम्मीद जगा सकते हैं। उनकी राष्ट्रीय पहचान, युवा चेहरा और भाजपा के साथ मजबूत रिश्ते उन्हें उस मुकाम पर ले जा सकते हैं जहां से वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में खड़े हो सकते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि अगर भाजपा चिराग को मुख्यमंत्री पद देने के बदले उनकी पार्टी का विलय चाहती है तो क्या चिराग इसके लिए तैयार होंगे? राजनीति में ऐसे विलय पहले भी हुए हैं और अगर चिराग के सामने मुख्यमंत्री बनने का मौका हो, तो यह त्याग उन्हें मंजूर भी हो सकता है। वैसे भी, चिराग पहले ही खुद को मोदी का ‘हनुमान’ कह चुके हैं, और उनके साथ अपनी निष्ठा को बार-बार साबित भी कर चुके हैं। इसलिए भाजपा अगर सही समय पर यह प्रस्ताव लेकर आती है, तो चिराग भी पीछे नहीं हटेंगे।

हालांकि भाजपा के भीतर भी यह चिंता हो सकती है कि चिराग जैसे नेता को आगे करने से बाकी सहयोगी दलों को क्या संदेश जाएगा। लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बिहार में भाजपा को एक ऐसा चेहरा चाहिए जो युवाओं, दलितों और मध्यम वर्ग को एक साथ जोड़े। और इस भूमिका में चिराग पासवान एकमात्र स्वाभाविक नेता के रूप में सामने आते हैं। अगर भाजपा नहीं भी तैयार होती है, तो यह भी संभव है कि प्रशांत किशोर जैसे रणनीतिकार, जो अक्सर चिराग की तारीफ करते हैं, भविष्य में उनके समर्थन में एक नया मोर्चा तैयार करें।

राजनीति में मौके बार-बार नहीं आते। यह चिराग पासवान के लिए एक निर्णायक क्षण है। अगर वे सही रणनीति अपनाते हैं, भाजपा के साथ संतुलन साधते हैं और जनता में अपनी मजबूत छवि गढ़ने में कामयाब होते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब बिहार की सत्ता का केंद्र चिराग बन जाएं। यह सपना सिर्फ चिराग का नहीं, राम विलास पासवान के अधूरे स्वप्नों की पूर्णता भी होगी, जो शायद बेटे की आंखों में अब साकार होने के लिए तैयार है।

डिस्क्लेमर

 खबर से सम्बंधित समस्त जानकारी और साक्ष्य ऑथर/पत्रकार/संवाददाता की जिम्मेदारी हैं. खबर से इंडियामिक्स मीडिया नेटवर्क सहमत हो ये जरुरी नही है. आपत्ति या सुझाव के लिए ईमेल करे : editor@indiamix.in

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