INDIAMIXINDIAMIXINDIAMIX
  • देश
  • मध्यप्रदेश
    • रतलाम
    • देवास
    • उज्जैन
    • सीहोर
    • इंदौर
    • भोपाल
    • झाबुआ
    • धार
    • सतना
    • रीवा
  • राज्य
    • गुजरात
      • दाहोद
    • उत्तरप्रदेश
      • लखनऊ
    • राजस्थान
      • जयपुर
      • उदयपुर
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • दुनिया
  • अन्य
    • YouTube
    • Story Archives
    • टेक्नोलॉजी
    • विडियो
    • सेहत/घरेलु नुस्खे
    • धर्म/ज्योतिष
    • कला/साहित्य
    • खेल
Search
  • About Us
  • Cookie Policy
  • Support Us
  • Fact Checking Policy
  • Ethics Policy
  • Term of Use
  • Corrections Policy
  • Privacy Policy
  • Contact Us
© 2018-2025 IndiaMIX Media Network., All Rights Reserved. Designed by Kamakshi Web +91-8959521010
Reading: राजनीति: कांग्रेस की अंदरूनी जंग ढाई साल का रोटेशन फॉर्मूला अब बना संकट
Share
Notification
Font ResizerAa
INDIAMIXINDIAMIX
Font ResizerAa
  • देश
  • मध्यप्रदेश
  • राज्य
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • दुनिया
  • अन्य
Search
  • देश
  • मध्यप्रदेश
    • रतलाम
    • देवास
    • उज्जैन
    • सीहोर
    • इंदौर
    • भोपाल
    • झाबुआ
    • धार
    • सतना
    • रीवा
  • राज्य
    • गुजरात
    • उत्तरप्रदेश
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • दुनिया
  • अन्य
    • YouTube
    • Story Archives
    • टेक्नोलॉजी
    • विडियो
    • सेहत/घरेलु नुस्खे
    • धर्म/ज्योतिष
    • कला/साहित्य
    • खेल
Follow US
  • About Us
  • Cookie Policy
  • Support Us
  • Fact Checking Policy
  • Ethics Policy
  • Term of Use
  • Corrections Policy
  • Privacy Policy
  • Contact Us
© 2018-2025 IndiaMIX Media Network., All Rights Reserved. Designed by Kamakshi Web +91-8959521010
INDIAMIX > राजनीति > राजनीति: कांग्रेस की अंदरूनी जंग ढाई साल का रोटेशन फॉर्मूला अब बना संकट
राजनीतिराज्य

राजनीति: कांग्रेस की अंदरूनी जंग ढाई साल का रोटेशन फॉर्मूला अब बना संकट

अजय कुमार
Last updated: 22/11/2025 9:05 PM
By
अजय कुमार
Share
8 Min Read
SHARE
Congress's internal battle: The two-and-a-half-year rotation formula has now become a crisis.

राजनीति/इंडियामिक्स कर्नाटक की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से उठ रहा तूफ़ान अब स्पष्ट रूप से दिखाने लगा है कि राज्य की सत्ता के शीर्ष पर खींचतान किस हद तक पहुँच चुकी है। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड जीत मिली थी। कांग्रेस ने 224 में से 135 सीटों पर कब्जा किया था जबकि भाजपा 66 सीटों और जेडीएस 19 सीटों पर सिमट गई थी। जीत के बाद कांग्रेस ने राज्य में सरकार तो बना ली, लेकिन सत्ता के असली खेल की बिसात उसी दिन से बिछनी शुरू हो गई थी, जब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सिद्धारमैया को बिठाया गया और डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाकर इस उम्मीद पर रखा गया कि ढाई साल बाद उनकी बारी आएगी।इसी ढाई साल के रोटेशन फॉर्मूले की घड़ी अब पास आ चुकी है। सिद्धारमैया के कार्यकाल के ढाई साल पूरे होने पर शिवकुमार के समर्थकों ने पार्टी नेतृत्व पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। उनके करीबी विधायकों का बिना पूर्व निर्धारित समय लिए दिल्ली पहुँचना और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने की कोशिशें इसी दबाव राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इस मुलाकात के वायरल हुए फोटो और वीडियो ने कर्नाटक में सियासी उथल-पुथल को और तेज़ कर दिया है।

राज्य में सत्ता परिवर्तन की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने तेवर साफ़ कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक को पाँच साल का जनादेश मिला है और वह पाँच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। उन्होंने मीडिया में चल रही “नवंबर क्रांति” की चर्चाओं को हवा बताते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में सरकार स्थिर है और अगले साल का बजट भी वही पेश करेंगे। सिद्धारमैया का यह बयान साफ़ दिखाता है कि वह कुर्सी छोड़ने के मूड में नहीं हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सिद्धारमैया कर्नाटक के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम करना चाहते हैं और उनके लिए यह अवसर बेहद अहम है।दूसरी तरफ शिवकुमार धैर्य के साथ हाईकमान के फैसले का इंतजार करते हुए भी अपनी दावेदारी मजबूत करने का हर अवसर साध रहे हैं। वह वोक्कालिगा समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं, दक्षिण कर्नाटक में उनकी पकड़ बेहद मजबूत है। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में इस समुदाय के कुछ हिस्सों का रुख भाजपा की ओर दिखा, लेकिन राज्य संगठन में शिवकुमार की पकड़ कम नहीं हुई। वह कांग्रेस के संकटमोचक नेता के तौर पर अपनी अलग पहचान रखते हैं। मध्य प्रदेश, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में कांग्रेस संकटों के दौरान उनकी सक्रियता और रणनीति को पार्टी के भीतर बड़ी ताकत माना जाता है। यही वजह रही कि 2023 कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले सीबीआई और ईडी के दबाव के बावजूद वह डटे रहे और चुनावी जीत के बाद सिद्धारमैया के साथ सत्ता की इस नई कहानी की शुरुआत हुई।

लेकिन इस कहानी में हमेशा से एक अनकहा संघर्ष रहा, जो अब खुलकर सामने आ चुका है। शिवकुमार का यह कहना कि “कोई भी पद स्थायी नहीं होता, मैं लाइन में पहले नंबर पर हूँ” उनकी महत्वाकांक्षा की खुली घोषणा है। वह लगातार अपने समर्थकों को भरोसा दे रहे हैं कि उनकी बारी आएगी। लेकिन कब आएगी, यही सवाल कर्नाटक की राजनीति को इस समय बेचैन कर रहा है। कांग्रेस हाईकमान अब इस बेचैनी को संभालने में उलझा हुआ है।भाजपा इस पूरी स्थिति को “कांग्रेस का अंदरूनी संकट” बताते हुए हमलावर हो चुकी है। विपक्ष का आरोप है कि सत्ता संघर्ष की वजह से प्रशासनिक कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ठेकेदारों ने दावा किया है कि लगभग 33,000 करोड़ रुपये के भुगतान में देरी हो रही है। इसका असर विकास परियोजनाओं पर साफ दिखाई देता है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि प्रदेश की जनता को राहत देने की योजनाएँ सिर्फ कागज़ों में चल रही हैं जबकि जमीन पर विकास ठप पड़ा है।कांग्रेस के भीतर बढ़ती बेचैनी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई विधायक यह मानते हैं कि स्थिति अगर ऐसी ही रही तो 2028 के चुनाव में इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता खुले तौर पर हाईकमान से यह आग्रह कर चुके हैं कि स्थिति स्पष्ट की जाए और मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही रस्साकशी खत्म की जाए। आंतरिक बैठकों में इस बात पर सहमति बनी है कि पार्टी का संदेश एकजुटता का होना चाहिए न कि सत्ता संघर्ष का।

सवाल यह भी है कि अगर हाईकमान सिद्धारमैया को हटाने का जोखिम नहीं लेता, तो क्या शिवकुमार सख़्त कदम उठा सकते हैं? उनके बयान अक्सर यह संकेत देते हैं कि वह पार्टी से इतर निर्णय से खुद को नहीं जोड़ते, लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता। महाराष्ट्र मॉडल की कई बार चर्चा हो चुकी है, जहां सरकारें रातों-रात पलट चुकी हैं। शिवकुमार के भाजपा से बेहतर संबंधों की भी कई बार चर्चा होती रही है। उनके खिलाफ दर्ज मामलों की मौजूदगी और एजेंसियों की सक्रियता को लेकर भी राजनीतिक संकेत निकाले जाते हैं। इसलिए अगर कांग्रेस की इस अंदरूनी लड़ाई में भाजपा अवसर तलाशती है तो यह किसी को चकित नहीं करेगा।कहा जाता है कि सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच समझौता ही कांग्रेस की जीत की नींव था। लेकिन अब वही समझौता कांग्रेस की सत्ता को डस्टेबलाइज़ कर रहा है। हाईकमान के सामने एक तरफ सिद्धारमैया की ओबीसी राजनीति है, तो दूसरी तरफ शिवकुमार की संगठनात्मक पकड़ और वोक्कालिगा वोटबैंक। दोनों नेताओं की अपनी मजबूती और अपनी-अपनी सीमाएँ हैं। ऐसे में किसी भी पक्ष को नाराज़ करना कांग्रेस के लिए जोखिम भरा होगा।

बेंगलुरु में हवा यह कह रही है कि आने वाले दिनों में कुछ बड़ा होने वाला है। अगर सिद्धारमैया को हटाया जाता है तो वह इसे अपनी राजनीतिक विरासत के खिलाफ कदम मान सकते हैं और नाराज़गी खुलकर सामने आ सकती है। वहीं अगर शिवकुमार की दावेदारी को टाल दिया गया तो उनके समर्थक इसे वादाखिलाफी मानकर सड़कों पर उतर सकते हैं। कांग्रेस के भीतर उठती यह लहर आने वाले महीनों में सुनामी भी बन सकती है।राज्य की जनता को उम्मीद थी कि प्रचंड बहुमत से मिली सरकार विकास की नई इबारत लिखेगी। लेकिन आज हालत यह है कि राज्य की राजनीति कुर्सी के लिए टकराती दो आकांक्षाओं में उलझी पड़ी है। कांग्रेस हाईकमान के लिए इस संघर्ष को सुलझाना जितना ज़रूरी है, उतना ही मुश्किल भी। कर्नाटक की सत्ता की इस जंग में कौन आगे निकलता है और कौन किनारे होता है   यह फैसला आने वाले कुछ हफ्तों में हो जाएगा। लेकिन इतना तय है कि इस राजनीतिक दांव-पेच ने कर्नाटक में सत्ता के भविष्य को अनिश्चितता की आग में झोंक दिया है।

डिस्क्लेमर

 खबर से सम्बंधित समस्त जानकारी और साक्ष्य ऑथर/पत्रकार/संवाददाता की जिम्मेदारी हैं. खबर से इंडियामिक्स मीडिया नेटवर्क सहमत हो ये जरुरी नही है. आपत्ति या सुझाव के लिए ईमेल करे : editor@indiamix.in

Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp Threads
Share
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Cry0
Surprise0
Angry0
Embarrass0
Byअजय कुमार
Follow:
वरिष्ठ पत्रकार , इंडियामिक्स, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
Previous Article मोदी की नई शैली: गमछा लहराकर जनता से जुड़ना मोदी की नई शैली: गमछा लहराकर जनता से जुड़ना
Leave a review Leave a review

Leave a Review Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Please select a rating!

प्रशासनिक अधिकारियो से, नेताओ से और पुलिस से आपका निजी लगाव आपकी पत्रकारिता को निष्पक्ष नहीं रहने देता

मुकेश धभाई, संपादक, इंडियामिक्स

Stay Connected

FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
YoutubeSubscribe
WhatsAppFollow
Google NewsFollow
ThreadsFollow
RSS FeedFollow

Latest News

मोदी की नई शैली: गमछा लहराकर जनता से जुड़ना
मोदी की नई शैली: गमछा लहराकर जनता से जुड़ना
राजनीति
21/11/2025
उत्तरप्रदेश: यूपी में जातीय रैलियों पर रोक से संगठित होता हिन्दुत्व
उत्तरप्रदेश: यूपी में जातीय रैलियों पर रोक से संगठित होता हिन्दुत्व
उत्तरप्रदेश
17/11/2025
राजनीति: नई सरकार में क्या नीतीश के कद को छोटा कर सकती है बीजेपी
राजनीति: नई सरकार में क्या नीतीश के कद को छोटा कर सकती है बीजेपी
राजनीति
17/11/2025
राजनीति: नीतीश की नई सरकार में जेडीयू-बीजेपी की बराबरी साझेदारी
राजनीति: नीतीश की नई सरकार में जेडीयू-बीजेपी की बराबरी साझेदारी
राजनीति
17/11/2025
राजनीति: कैसे योगी मॉडल से बिछ रहा है बीजेपी सरकारों का जाल
राजनीति: कैसे योगी मॉडल से बिछ रहा है बीजेपी सरकारों का जाल
राजनीति
15/11/2025

पत्रकारिता आपकी जान ले सकती हैं, लेकिन जब तक आप इसमें हैं, तब तक ये आपको जीवित रखेगी.

होरेस ग्रीले
  • About Us
  • Cookie Policy
  • Support Us
  • Fact Checking Policy
  • Ethics Policy
  • Term of Use
  • Corrections Policy
  • Privacy Policy
  • Contact Us
INDIAMIXINDIAMIX
Follow US
© 2018-2025 IndiaMIX Media Network., All Rights Reserved. Designed by Kamakshi Web +91-8959521010
adbanner