
वाशिंगटन पोस्ट
अमेरिकी अख़बार वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है, “भारत के स्ट्राइक की वजह से क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है और 2021 से जारी सीज़फ़ायर ख़त्म हो गया है.” अख़बार ने लिखा है, “विश्लेषक दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप में कश्मीर पर दशकों से चल रहे संघर्ष के बढ़ने की चेतावनी दे रहे हैं.” वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि इस बार भारत ने 2019 में हुए बालाकोट स्ट्राइक से कहीं बड़ा हमला किया है. अख़बार ने लिखा, “बुधवार का हवाई हमला, 2019 की तुलना में कहीं अधिक बड़े पैमाने पर हुआ. 2019 में भारत ने कश्मीर में आत्मघाती बम विस्फोट के जवाब में पाकिस्तान में हमला किया था.” भारतीय लड़ाकू विमानों के बारे में पाकिस्तानी दावों पर अख़बार ने लिखा, “पाकिस्तान के इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है और भारत सरकार ने अपने कथित नुक़सान के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है.”
न्यूयॉर्क टाइम्स
एक अन्य अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है भारत और पाकिस्तान के बीच जंग को टाला जा सकता है. अख़बार ने लिखा है, “पाकिस्तान का कहना है कि उसने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं. लेकिन राजनयिकों और विश्लेषकों ने उम्मीद जताई है कि पूर्ण युद्ध टाला जा सकता है.” अख़बार ने लिखा, “पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि वह भारत के साथ अपने देश के संकट को कम करने में मदद के लिए अमेरिका के आगे के प्रयासों का स्वागत करेंगे.” न्यूयॉर्क टाइम्स के इस लेख में एम्मेट लिंडनर ने लिखा, “मेरे सहयोगी और हमारे दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख मुजीब मशाल ने हमलों के पीछे की वजह बताई थी. मुजीब ने कहा, इन दोनों देशों का इतिहास वास्तव में शत्रुता का इतिहास रहा है.” उन्होंने लिखा, “जब हथियारों की बात आती है, तो भारत बनाम पाकिस्तान, चीन बनाम अमेरिका भी है.”
ला मोंड
फ़्रांसीसी अख़बार ला मोंड ने लिखा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति में बुधवार को ऐसी कई विरोधाभासी रिपोर्ट्स प्रसारित की गईं, जिन्हें स्वतंत्र रूप वैरिफ़ाई करना असंभव था. एक अन्य फ़्रांसीसी मीडिया आउटलेट, फ़्रांस 24 ने शोधकर्ताओं के हवाले से कहा कि पूर्ण युद्ध दोनों देशों को महंगा पड़ेगा और वे इससे बचने की कोशिश करेंगे. फ्रांस 24 के एक शो में यूनिवर्सिटी ऑफ़ ब्रैडफ़र्ड में पीस स्टडीज़ और इंटरनेशनल डेवलपमेंट के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर सुधीर सेलवराज ने कहा, “पूरी तरह से युद्ध करना महंगा पड़ेगा और दोनों पक्ष हर क़ीमत पर इससे बचने की कोशिश करेंगे.”
दे डेली टेलीग्राफ़
ब्रिटेन के अख़बार दे डेली टेलीग्राफ़ ने लिखा कि एशिया में चल रहे संकट में मध्यस्थता की ज़िम्मेदारी अमेरिका की है. द डेली टेलीग्राफ़ ने लिखा, “कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 80 सालों से विवाद चल रहा है. कई बार दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है, लेकिन शांति बहाल करने के लिए वे अक्सर अमेरिकी मध्यस्थता का सहारा लेते रहे हैं. लेकिन यह मत समझिए कि यह पैटर्न हमेशा खुद को दोहराता रहेगा.”
अख़बार ने सवाल किया, “जब दो परमाणु शक्तियों के बीच जंग का ख़तरा मंडरा रहा है, तो कौन समाधान की मध्यस्थता करेगा?””हम एक बार मान सकते थे कि अमेरिका तनाव कम करने के लिए एक ठोस प्रयास का नेतृत्व करने के लिए आगे आएगा. जब 2002 में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा, तो दिवंगत अमेरिकी विदेश मंत्री कोलिन पॉवेल ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच मध्यस्थता की, इसमें हमारे (ब्रिटेन के) तत्कालीन विदेश सचिव जैक स्ट्रॉ भी शामिल थे.”
द गार्डियन
द गार्डियन ने अपने एक लेख में लिखा, “भारत की पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कार्रवाई ऐसे समय पर हुई जब दुनिया भर में जंग सामान्य बात हो गई है और दुनिया की कूटनीतिक प्रणाली कमज़ोर हो गई है.” अख़बार ने लिखा, “भारत की यह कार्रवाई पाकिस्तान के ख़िलाफ़ की गई पिछली कार्रवाईयों से अधिक आक्रामक है. इससे पाकिस्तान के वादे के मुताबिक़ ‘युद्ध की कार्रवाई’ के जवाब की आशंका बढ़ गई है.”
द गार्डियन ने लिखा, “भारत ने जिन जगहों पर स्ट्राइक किया है उनमें से चार टारगेट पाकिस्तान के घनी आबादी वाले पंजाब क्षेत्र में हैं. इस इलाक़े में भारत ने 1971 के युद्ध के बाद से हमला नहीं किया था.”
गल्फ़ न्यूज़
गल्फ़ न्यूज़ ने लिखा है कि पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारतीय हमलों की वजह से विश्लेषक तनाव के और अधिक बढ़ने की आशंका जता रहे हैं.ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट में सीनियर रेजिडेंट फ़ेलो राजेश्वरी पिल्लई राजगोपालन के हवाले से गल्फ़ न्यूज़ ने लिखा, “चीज़ें नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं. यह ऐसी चीज़ है जिसके बारे में दोनों पक्षों के राजनीतिक नेतृत्व को पता है. अगर आप 1998 में दोनों देशों के परमाणु संपन्न होने के बाद से पिछले तीन दशकों में उनके बीच हुए बार-बार के संघर्षों को देखें तो पाएंगे कि उन्होंने संयम दिखाया है.”
एक अन्य विशेषज्ञ मनोज जोशी के हवाले से अख़बार ने लिखा, “पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा. सवाल यह है कि क्या ये कार्रवाई सोच-समझकर की जाएगी? अगर वे सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करते हैं, तो भारत जवाबी कार्रवाई करेगा और सैन्य कार्रवाई जारी रहेगी.”
खलीज टाइम्स
खलीज टाइम्स ने इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है. अख़बार की वेबसाइट भारत पाकिस्तान तनाव पर एक लाइव ब्लॉग भी चला रही है.अख़बार ने लिखा, “दक्षिण एशिया के ये पड़ोसी 1947 के बाद कई युद्ध लड़ चुके हैं. भारतीय सेना ने कहा है कि अब इंसाफ़ हो गया है. भारतीय प्रवक्ता ने कहा है कि उनकी कार्रवाई तनाव बढ़ाने वाली नहीं, और नपी-तुली थी.”