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रतलाम : नगर निगम की हाज़री में हेराफेरी, कांग्रेस के नेता व पार्षद पति की फ़र्ज़ी हाज़री का मामला

4 फरवरी का मामला, काँग्रेस नेता हितेश पैमाल कर रहे थे मुख्यमंत्री का विरोध, वहीं नगर निगम ने बतायी कार्यस्थल पर उपस्थिति, दरोगा से ले कर ज़ोन प्रभारी तक सवालों के घेरे में, आख़िर ओर कितनी फ़र्ज़ी हाजरी लगती होगी ?, फिलहाल जाँच के आदेश

रतलाम : नगर निगम की हाज़री में हेराफेरी, कांग्रेस के नेता व पार्षद पति की फ़र्ज़ी हाज़री का मामला
4 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद वेन में काँग्रेस नेता हितेश पैमाल व अन्य (File Photo)

रतलाम IMN, नगर निगम आये दिन अपनी कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा में बना रहता है। कर्मचारियों की फ़र्ज़ी हाजरियां छुपे नहीं छुपती है। ऐसा ही एक मामला सामने आने के बाद निगम में अफरा तफरी मची हुई है। उक्त मामला पूर्व पार्षद भावना पैमाल के पति हितेश पैमाल की निगम रजिस्टर में फ़र्ज़ी उपस्थिति दर्ज करने का है।

दरसल हुआ यह कि 4 फरवरी को शहर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आना हुआ था। उसी वक्त कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के सामने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी। जिसके बाद पुलिस ने शहर काँग्रेस अध्यक्ष महेंद्र कटारिया सहित कई कार्यकर्ता को अधिकृत रूप से गिरफ्तार कर सैलाना में अस्थाई जेल भेज दिया था। इन्ही गिरफ्तार कार्यकताओ में एक कांग्रेस की पूर्व पार्षद भावना पैमाल व काँग्रेस के अजा प्रकोष्ठ के शहर अध्यक्ष हितेश पैमाल भी थे।

पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के वक्त पैमाल नगर निगम कर्मचारी थे। 1 फरवरी से 28 फरवरी तक कि सभी दिनों की हाजरी पत्रक में लगी हुई है। यह हाजरी तब लगती है जब वह सुबह व दोपहर दोनों शिफ्ट में काम करता है। मामले में हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि गिरफ्तारी के बाद निगम द्वारा हितेश पैमाल को निलंबित कर दिया गया था मगर फिर भी हाजरी बराबर लगायी गयी।

रतलाम : नगर निगम की हाज़री में हेराफेरी, कांग्रेस के नेता व पार्षद पति की फ़र्ज़ी हाज़री का मामला
छठे नम्बर पर नाम व उपस्थिति

इस मामले का खुलासा होते ही निगम में हड़कम्प मच हुआ है वहिं एक समाचार पत्र को दिए बाइट में निगम कमिश्नर सोमनाथ झरिया द्वारा कहा गया कि – नगर निगम के दैनिक भोगी कर्मचारी हितेश पैमाल द्वारा मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने व इसके बाद गिरफ्तारी की जानकारी मिली है। इस दौरान उनकी पूरी उपस्थिति कैसे लगी यह जाँच के आदेश दिए गए है। मामले में हमने हाजरी लगाने वाले वार्ड एक के दरोगा कुंदन धुलिया से सम्पर्क करने की भी कोशिश की मगर नही हो पाया।

मामले में गम्भीर सवाल तो यह उठते है की आखिर किसकी लापरवाही से यह सब झोल निगम में आसानी से हो जाता है? कर्मचारी बिना काम के ही कैसे वेतन इतनी आसानी से ले जाता है इसके लिए कोई खास सिस्टम क्यो नहीं है? और क्यो एक दरोगा द्वारा ही सभी की हाजरी एक साथ लगा दी जाती है? क्या यह जाँच भी ईमानदारी से पूरी होगी?

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