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रतलाम : गंदगी में दीवाली : रतलाम की गलियाँ तरसी सफाई देखने को, जनता में आक्रोश

सफाई कर्मी से लेकर दरोगा व ज़ोन प्रभारी तक सब केवल कर रहे खानापूर्ति, सफ़ाई को लेकर कलेक्टर के निर्देश भी ताक पर रखे, डेंगू जैसी गम्भीर बीमारियों का कारण सामने होने पर भी आँख बंद कर बैठे जिम्मेदार

रतलाम : गंदगी में दीवाली : रतलाम की गलियाँ तरसी सफाई देखने को, जनता में आक्रोश

रतलाम / इंडियामिक्स मध्यप्रदेश के रतलाम शहर यू तो कई वजह से निरंतर चर्चा में बना रहता है । मगर इस बार मामला कुछ अलग है । लगातार कोरोना से लड़ता हुआ रतलाम पिछले कुछ महीनों से डेंगू के प्रकोप से जूंज रहा है । ऐसे में रतलाम प्रशासन लगातार इससे निपटने की कोशिश की बात करता आ रहा है । मगर क्या ये कोशिशें वाकई इतने प्रभावी और सही तरीके से की जा रही है ? हम ऐसा क्यों पूछ रहे है ये भी एक सवाल आपके मन मे कौंध रहा होगा । तो आपको बताते चले कि आखिर ऐसा क्या हुआ और कहां हुआ कि हमे प्रशासन की नीयत पर संदेह उत्पन्न हो गया । दरअसल वार्ड नंबर 26 के स्थानीय लोगो ने हमे लगातार अपनी परेशानियों के बारे में बताया और आग्रह किया कि हम उनकी दिक्कतों को शासन और प्रशासन के पास पहुचाये ।

दरअसल वार्ड नंबर 26 में स्थित गुर्जर मोहल्ला, धभाई जी का वास और हरमाला रोड में पसरी ये गंदगी लोगो के लिए लगातार परेशानी बन रही है । इस गंदगी से उत्पन्न मच्छरों से क्षेत्र के लोगो को मलेरिया, डेंगू आदि बीमारी का खतरा लगातार बना हुआ है । हालांकि ये गंदगी और भी कई बीमारियों को पैदा करती है । फिर भी जिस तरह से डेंगू का प्रकोप लोगो ने पिछले कुछ महीनों से देखा है । लोग अपने और अपने बच्चो के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित नज़र आते है । हर जगह नालियां गंदगी से भरी पड़ी है और सीवरेज प्रोजेक्ट के लिए किए गए गड्डो को इसी तरह छोड़ दिया गया है । उनकी रिपेयरिंग कंपनी द्वारा की जानी थी मगर हालात ऐसे है कि जिम्मेदार लोगों के कानों में जु तक नही रेंगती । ये वही हालात है शायद इन्ही हालातो में ये कहावत बनी होगी “अंधेर नगरी चौपट राजा” ।

रतलाम : गंदगी में दीवाली : रतलाम की गलियाँ तरसी सफाई देखने को, जनता में आक्रोश

निगम अमला जिसकी जिम्मेदारी होती है कि, कम से कम डेंगू जैसी बीमारी जो कि महामारी जैसी बनती जा रही है । उसमें कम से कम क्षेत्र के लोगो के स्वास्थ्य की चिंता कर साफ सफाई की उचित व्यवस्था करे । मगर निगम के वार्ड नम्बर 26 के क्षेत्र दारोगा सीवरेज के नाम पर अपनी जिम्मेदारियों से कन्नी काटते हुए दिखते है । लगातार लोगो की शिकायत को नज़र अंदाज़ कर अपने काम की खानापूर्ति करने में लगे है । क्षेत्र के लोगो का कहना है कि 15 दिन में एक बार खाना पूर्ति के लिए सफाई का आडंबर किया जाता है । पहले क्षेत्र के पार्षद पर लोग दबाव बना कर या उनको कहकर सफाई करवा लेते थे । मगर अब निगम में भी जनता का कोई प्रतिनिधि नही है ।

ऐसे हाल में जनता क्या करे । कहने को तो निगम आयुक्त से शिकायत की जा सकती है मगर लोगो को अधिकारियों पर से विश्वास ही हट गया है । क्योंकि आश्वासन के अलावा उनके हिस्से में कभी कुछ आया ही नही । इसलिए क्षेत्र लोगो ने तय किया कि वो प्रशासन तक अपनी बात मीडिया के द्वारा पहुचाने की कोशिश करेंगे । हालांकि रतलाम कलेक्टर तक अपनी बात सीधे पहुचाने में लोग संकोच कर रहे है । किसी दारोगा की ऐसी रंगदारी देख कर हम भी अचंभित है कि खुलकर उसकी शिकायत भी लोग नही कर पा रहे । बल्कि नाम न बताने की शर्त पर लोग अपनी समस्या मीडिया को बता रहे है ।

रतलाम : गंदगी में दीवाली : रतलाम की गलियाँ तरसी सफाई देखने को, जनता में आक्रोश

जर्जर मकान के पास बनी सरकारी गली की हालत इतनी गंदी हो चुकी है कि न जाने कितनी बीमारी पैदा करने वाले जीव रोज़ उत्पन्न होते होंगे । लोगो को जिलाधिकारी यानी नए कलेक्टर साहब पर तो विश्वास है कि सीधे न सही मीडिया रिपोर्ट के आधार पर वो इस मामले में संज्ञान लेंगे । हालांकि लोग जल्द ही समाधान न होने पर जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह का पुतला फुकने की बात कर रहे है । और लोगो का कहना है कि इस बार किसी भाजपा नेता को क्षेत्र वोट मांगने के लिए नही आने दिया जाएगा ।

खैर लोगो की भावनाएं अपनी जगह है मगर प्रशासन और निगम अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में असफल हुए है । वर्तमान में हालात को देखे तो ये कहना बेमानी नही होगा । लोगो की समस्या देखकर हम भी प्रशासन से निवेदन करते है कि लोगो की समस्या का निराकरण ही उनके कर्तव्य का हिस्सा है । उसे जरूर पूरा करे । जो भी जिम्मेदार सफाईकर्मी है उनके खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए सुनिश्चित करे कि क्षेत्र में लोगो को आगे परेशानी नही आये । मध्यप्रदेश सरकार के जिम्मेदारों तक ये रिपोर्ट पहुचे तो उचित मार्गदर्शन देकर जिला प्रशासन और निगम को लोगो की समस्या का समाधान करने के लिए कहे । ये जनता ही सरकार बनाती और गिराती है । लगातार पनपता असंतोष सत्ता के लिए घातक होता है ।

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