MP Assembly Election : इस बार कौन कौन हो सकते हैं भाजपा से शिवराज सिंह के विकल्प

भोपाल/इंडियामिक्स इस बार मध्यप्रदेश में भाजपा ( BJP ) में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाये आमजन में हो रही हैं. इस हवा को और जोर देती हैं भाजपा के विधानसभा चुनावो ( MP Assembly Election ) में प्रत्याशियो की सूची जिसमे 3 केंद्रीयमंत्री सहित कुल 7 सांसदों को टिकट दिया गया हैं. हालाकि शिवराज सिंह चौहान को बदलना इतना आसन नहीं हैं और न ही भाजपा ने ऐसी कोई घोषणा की हैं जिससे ये लगे की इस बार शिवराज सिंह चौहान इस बार मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे.

फिर आखिर ये चर्चाये क्यों हो रही हैं इस पर हम थोडा विश्लेषण करते हैं तो हमें साफ़ मालूम पड़ता हैं की ये चर्चाये सोशल मीडिया से शुरू होकर आज प्रदेश के गली नुक्कड़ तक पहुच गयी हैं. आखिर ये चर्चाये को बल क्यों मिला ? शायद इस बार भाजपा राजस्थान की तरह ही मध्यप्रदेश में बिना फेस के सिर्फ पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ने की बात कह रही हैं.

सवाल ये भी बड़ा हैं की शिवराज सिंह चौहान के 18 वर्षो के कार्यकाल और लगातार 2 बार सरकार वापस लाने के बाद भी शिवराज सिंह चौहान के नाम पर चुनाव क्यों नही लड़ा जा रहा हैं. इसके पीछे शायद 2018 में कांग्रेस का भाजपा को हराना कारण हो सकता हैं. क्योकि शायद भाजपा में भी कहीं न कहीं नेतृत्व परिवर्तन की मांग अंदरखाने उठ रही थी.

कौन हो सकते हैं भाजपा में शिवराज सिंह चौहान के विकल्प

नरेन्द्र सिंह तोमर

मंत्रिस्तरीय भूमिकाएँकार्यालय का कार्यकाल
मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री20032008
श्रम एवं रोजगार मंत्री26 मई 20149 नवंबर 2014
खान मंत्री26 मई 20145 जुलाई 2016
इस्पात मंत्री26 मई 20145 जुलाई 2016
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री5 जुलाई 20163 सितंबर 2017
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री5 जुलाई 20167 जुलाई 2021
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री18 जुलाई 20173 सितंबर 2017
खान मंत्री3 सितंबर 201730 मई 2019
संसदीय कार्य मंत्री13 नवंबर 201830 मई 2019
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री30 मई 2019पदधारी
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री18 सितंबर 20207 जुलाई 2021

प्रहलाद सिंह पटेल

2014 वे सार्वजनिक उपक्रमों की समिति, सरकारी आश्वासनों पर समिति, ग्रामीण विकास पर स्थायी समिति, वीवी गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान की कार्यकारी परिषद और श्रम और रोजगार मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य बने। 2014 वे दमोह से 16 वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए जहां उन्होंने कांग्रेस के चौधरी महेंद्र प्रताप सिंह को हराया। 2011 वे तीन साल तक भारतीय जनता मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय जनता मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष रहे। 2004 वे छिंदवाड़ा से 2004 के चुनाव कांग्रेस के कमलनाथ से हार गए। 2003 उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री, कोयला मंत्रालय के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया। 2000 2000-2003: सदस्य, परामर्शदात्री समिति, खान और खनिज मंत्रालय। 1999 वे मध्य प्रदेश के बालाघाट निर्वाचन क्षेत्र से 13 वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए। वर्ष 1999-2000 तक, वे निजी सदस्यों के विधेयकों और संकल्पों पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन और समिति संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रहे। 1996 उन्होंने सचेतक, भाजपा संसदीय दल लोकसभा और शहरी संबंधी स्थायी समिति के सदस्य और ग्रामीण विकास, विशेषाधिकार समिति और सलाहकार समिति, कृषि मंत्रालय के रूप में कार्य किया। 1996 कांग्रेस की विमला वर्मा को हराकर पटेल सिवनी से दूसरे कार्यकाल के लिए 11 वीं लोकसभा के लिए दोबारा चुने गए। उन्होंने विमला वर्मा को 1998 में आगामी चुनाव हार गए। 1990 वे खाद्य और नागरिक आपूर्ति और सलाहकार समिति, कृषि मंत्रालय की स्थायी समिति के सदस्य चुने गए। 1989 वे मध्य प्रदेश के सिवनी से 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए जहाँ उन्होंने कांग्रेस के गगरी शंकर मिश्रा को हराया। 1986 1986 से 1990 तक, उन्होंने युवा मोर्चा के सचिव, और भारतीय जनता पार्टी, मध्य प्रदेश के महासचिव के रूप में कार्य किया। 1982 प्रहलाद सिंह पटेल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक जिला अध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) के रूप में की।

कैलाश विजयवर्गीय

वर्ष १९७५ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से विजयवर्गीय राजनीति से जुड़े। वर्ष १९८३ में वे इंदौर म्युनिसिपल कार्पोरेटर और वर्ष १९८५ में स्थायी समिति के सदस्य बने। वे भारतीय जनता पार्टी की इंदौर इकाई में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य सचिव एवं राज्य बीजेपी कानून सेल के संयोजक रहे। वर्ष १९८५ में वे विद्यार्थी परिषद् के राज्य संयोजक, वर्ष १९९२ में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य उपाध्यक्ष , भारतीय जनता युवामोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और वर्ष 1993 में गुजरात के प्रभारी रहे। श्री विजयवर्गीय विधानसभा के लिए लगातार वर्ष १९९०, १९९३, १९९८, और 2003 में चुने गए। प्रतिपक्षी दल कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जा रही डॉक्टर आंबेडकर नगर-महू की सीट पर मुश्किल चुनाव लड़ते हुए वे तेरहवीं विधानसभा के लिए वर्ष २००८ में पांचवीं बार विजयी रहे और लगातार छठी बार वर्ष २०१३ में चुने गए।

जब हरियाणा राज्य विधानसभा में अपनी सीट 4 से बढ़ाकर ४७ करके जो पहली जीत दर्ज की गई उस वक्त वे ही बीजेपी की हरियाणा राज्य विधानसभा चुनाव अभियान के प्रभारी थे।  वर्ष २०१५ में वे भारतीय जनता पार्टी के महासचिव बनने के साथ ही पश्चिम बंगाल के राज्य प्रभारी बनाये गए

डॉ नरोत्तम मिश्रा

The Health Minister, Madhya Pradesh, Mr. Narotham Mishra calls on the Union Minister for Health & Family Welfare, Shri Jagat Prakash Nadda , in New Delhi on November 11, 2014.

डॉ. नरोत्तम मिश्रा गृह, कानून, जेल और संसदीय मामलों के मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। वह मध्य प्रदेश विधान सभा के छह बार सदस्य हैं। वह पहली बार 1990 में 9वीं विधानसभा के लिए चुने गए और 1998 और 2003 में ग्वालियर जिले के डबरा विधानसभा क्षेत्र से और 2008, 2013 और 2018 में दतिया विधानसभा क्षेत्र से फिर से चुने गए।

डॉ. नरोत्तम मिश्रा 2005-2008, 2009-2018 और 2020 से अब तक मंत्री रहे हैं।

1 जून 2005 को उन्हें राज्य मंत्री के रूप में श्री बाबूलाल गौर की मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया।

डॉ. मिश्रा को 4 दिसंबर 2005 को श्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया और बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

विधान सभा सदस्य रहते हुए उन्होंने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया से हार गये । इसके तुरंत बाद, उन्हें 28 अक्टूबर 2009 को कैबिनेट मंत्री के रूप में श्री शिवराज सिंह चौहान की मंत्रिपरिषद में फिर से शामिल किया गया। उन्होंने 21 दिसंबर 2013 को फिर से कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने अपने विभिन्न कार्यकालों में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, शहरी विकास, जनसंपर्क, जल संसाधन, कानून और विधायी मामलों और संसदीय मामलों के कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया है।

2008 के विधानसभा चुनावों में चुनाव खर्च के गलत खाते दाखिल करने और अपने चुनाव अभियान में पेड न्यूज का उपयोग करने और चुनाव खर्च के उचित खाते प्रस्तुत नहीं करने के लिए उन्हें 23 जून 2017 को चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया गया था। मिश्रा राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट चले गए। 18 मई 2018 के अपने फैसले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग के आदेश को रद्द कर दिया, साथ ही यह भी कहा कि “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में, सबूत का कोई तरीका नहीं था जिसे उचित रूप से स्वीकार किया जा सके कानून द्वारा स्थापित एक न्यायाधिकरण।” 

उन्होंने 20 अप्रैल 2020 को मध्य प्रदेश सरकार के गृह मामलों और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के रूप में शपथ ली। कैबिनेट फेरबदल के बाद, उन्हें गृह मंत्रालय बरकरार रखते हुए कानून और विधायी मामलों, जेल और संसदीय मामलों का मंत्री नियुक्त किया गया।

10 अप्रैल 2022 को हुए दंगे और अगले दिन बुलडोजर के साथ राज्य की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने सलाह दी: “जिस घर से पत्थर आए, उसे पत्थरों का ढेर बना दिया जाएगा।

ज्योतिरादित्य सिंधिया

10 मार्च 2020 को उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा देकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से बाहर हो गये। इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक बयान जारी कर दावा किया कि उन्हें “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है। वह 11 मार्च 2020 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये।

2021 के कैबिनेट विस्तार में उन्हें मोदी सरकार के कैबिनेट में जगह मिली | ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Civil Aviation Ministry) की जिम्मेदारी दी गई. दिलचस्प यह  है कि इसी मंत्रालय की जिम्मेदारी कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया (Madhav Rao Scindia) के पास भी थी | 2022 में इस्पात मंत्रालय (Steel Ministry) का प्रभार नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिला है | उन्हें ये आरसीपी सिंह के राज्यसभा कार्यकाल खत्म होने पर ये मंत्रालय मिला है |

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