राजनीतिक गलियारे में सरगर्मी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का घोटा गला, रतलाम सहित प्रदेश के पत्रकार प्रशासन के विरुद्ध आक्रोशित, यह कार्यवाही! नाकामियों को छुपाने व मीडिया को डराने का प्रयास तो नहीं ?
रतलाम/इंडियामिक्स : सोशल मीडिया पर एक व्हाट्सप ग्रुप में साधारण सा सन्देश शहर के पत्रकार साथी केके शर्मा द्वारा किया गया जिसमें लिखा था – रतलाम के गांव पलसोड़ा के जगदीश राठौर को सुबह मेडिकल कॉलेज में एडमिट किया था। परिजनों के मुताबिक कॉलेज में 15 मिनट तक ऑक्सीजन भी दिया गया बाद में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया, परिजन उन्हें गांव लेकर गए जहां स्थानीय डॉक्टर ने चेक किया तो उनकी धड़कन चालू होना बताया। कोई हॉस्पिटल उन्हें नहीं ले रहा है। कृपया मदद करे।
यह साधारण सा मैसेज देख कोई भी बता सकता है की यह केवल सहायता के उद्देश्य से लिखा गया एक मैसेज है। मगर इस पर हड़बड़ाहट मचाते हुए पुलिस द्वारा तुरन्त परिजनों के बयान लेकर प्रशासन द्वारा पत्रकार केके शर्मा पर नामली थाने पर यह कहकर मामला बना दिया गया की इससे रतलाम मेडिकल कॉलेज की छवि खराब हो रही है।
पत्रकार केके शर्मा ने बताया कि मदद के उद्देश्य से मेडिकल कॉलेज के साथ समन्वय बनाने वाली डिप्टी कलेक्टर शिराली जैन को भी इस पूरे मामले से अवगत कराया गया था।
जब उस व्यक्ति को गायत्री हॉस्पिटल लेकर गए थे तो वहां डिप्टी कलेक्टर शिराली जैन मैडम ने भी गायत्री हॉस्पिटल के जिम्मेदारों से बात की थी उन्होंने भी उक्त व्यक्ति को मृत बताया था। इसके बाद परिजन उक्त मृत व्यक्ति को गांव लेकर गए थे और दाह संस्कार कर दिया था और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि मीडिया या सोशल मीडिया में इस तरह की खबर आई हो कि मृत घोषित आदमी की सांसे चलती हुई पाई गई और थोड़ी देर बाद वह फिर मर गया मात्र सूचना और मदद के उद्देश्य से की गई पोस्ट पर एफ आई आर दर्ज होना पुलिस का बहुत ही निराशाजनक कार्य है।
कोरोनाक़ाल में जान पर बनने के बावजूद भी पत्रकार खबरो को स्पष्ट रूप से जनता तक पहुंचा रहे है व प्रशासन का भी भरपूर सहयोग कर रहे है। मगर इस तरह की कार्रवाई से शहर सहित अन्य जिलों के पत्रकारो में भी रोष है। यह सीधे से चौथे स्तम्भ पर हमला है जहाँ सच की आवाज को भी दबाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन आपातकाल की तरह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता नजर आ रहा है व कहीं ना कहीं मीडिया को धमकाने का कार्य कर रहा है। इसके अतिरिक्त भी कई जिलो में दैनिक भास्कर आदि मीडिया समूह पर भी धारा 188 के तहत मामले प्रकाश में आये है।
पत्रकारों ने विरोध जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखने के साथ वाट्सएप पर डीपी भी काली कर दी है। साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, प्रदेश के गृहमंत्री, डीजीपी, प्रमुख सचिव, जनसंपर्क प्रमुख सचिव आदि को भी पत्र भेजकर कार्रवाई पर अपना विरोध जताया।
राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मची:-
घटना के विरोध में सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत ने तीखी टिप्पणी करते हुए राज्य शासन को सच बोलने वाले पत्रकारों को दबाने पर आड़े हाथों लिया। आलोट विधायक मनोज चावला ने भी ट्वीटर पर घटना का विरोध जताया। जावरा विधायक डॉ. राजेंद्र पाण्डेय ने प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा को फोन पर घटनाक्रम की जानकारी दी। मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाओं को दूर करने में मीडिया का सहयोग लेने की भी बात कही। पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी ने भी पत्रकारों के प्रति गलत मंशा से हुई कार्रवाई पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि आम व्यक्ति की मदद के लिए इस तरह का मैसेज करना सहज प्रवृत्ति है। इस विषय में प्रभारी मंत्री से चर्चा की गई है और गृहमंत्री और मुख्यमंत्री से भी चर्चा की जाएगी।