रतलाम/इंडियामिक्स सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार और सरकारी डॉ सीपीएस राठौर की बहस ने आखिर शहर की फिजा बिगाड़ ही दी । आखिर ऐसा हुआ कैसे इसे समझने के लिए हम घटना को पुनः याद करे । सैलाना विधायक अपने साथियों के साथ सरकारी अस्पताल पहुंचे थे वहां उन्होंने डॉ सीपीएस राठौर से पूछ लिया कि ड्यूटी पर कौन डॉ है इसे लेकर डॉ सीपीएस राठौर भड़क गए और भाषा की मर्यादा भूल कर विधायक और उनके समर्थकों पर भड़क गए और कथित रूप से गाली देना शुरू कर दी । इस दौरान विधायक और उनके समर्थक डॉ. को बताते रहे कि आप जिससे बत्तमीजी कर रहे है वो सैलाना विधायक है मगर तब तक डॉ. इतना कुछ बोल चुके थे कि शब्दो को वपास लेना और माफी मांगना उनके लिए स्वाभिमान की बात बन गयी थी इसलिए वो अपने स्टैंड पर अड़े रहे और विधायक और उनके समर्थकों पर कार्य मे बाधा पहुंचाने का आरोप लगाना शुरू कर दिया । हालांकि अचानक हुए इस वाकये से डॉ भी स्तब्ध नज़र आ रहे थे । चूंकि बड़ी गलती हो चुकी थी इसलिए डॉ सीपीएस राठौर अब अपना पक्ष मजबूत करने में लगे रहे ।
सैलाना विधायक ने डॉ सीपीएस राठौर पर गाली देने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग करना शुरू कर दी । इसके बाद डॉ सीपीएस राठौर द्वारा लिखित में विधायक और उनके समर्थकों के खिलाफ शिकायत की गई । विधायक ने भी अपने लेटरहेड पर संबंधित थाने पर ईमेल द्वारा डॉ सीपीएस राठौर की शिकायत की और ST/SC एक्ट में कार्यवाही की मांग की । दोनों की शिकायत के बाद प्रशासन ने दोनों के खिलाफ कायमी कर दी ।
आखिर क्यों भड़के सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार
खुद अपमानित और पीड़ित होने के बाद विधायक ने अपने खिलाफ ही हुई FIR से विधायक का आत्मसम्मान तार तार हो गया । उन्होंने इसे समस्त आदिवासी समाज का अपमान माना और अपने जनप्रतिधि के पद और सम्मान की रक्षा के लिए इसे आत्मसम्मान का मुद्दा बना लिया । सैलाना विधायक ने अपने खिलाफ हुई कार्यवाही और डॉ सीपीएस राठौर के खिलाफ कमजोर धाराये लगाने का आरोप कलेक्टर और पुलिस प्रशासन पर लगाया और मांग की कि उनके खिलाफ कायमी को निरस्त करे और डॉ के खिलाफ निलंबन और कठोर धाराये लगाकर केस बनाये ।
जनांदोलन की तैयारी
विधायक कमलेश्वर डोडियार को जब लगा कि प्रशासन उनके मांगो गंभीरता से नही ले रहा है तो उन्होंने इसके खिलाफ जनांदोलन की तैयारियां शुरू कर दी । विधायक जगह जगह आदिवासी अंचल में सभाएं लेकर समस्त आदिवासी समाज को ये समझाने में लग गए कि ये केवल उनका अपमान नही है अपितु पूरे आदिवासी समाज का अपमान है । लोगो को वो समझाने में सफल भी रहे , उन्होंने इसे सिर्फ अपनी विधानसभा तक सीमित न रखते हुए आसपास के आदिवासी बहुल क्षेत्रो तक पहुंचने का कार्य भी किया । 11 दिसंबर 2024 सुबह 9 बजे इस जनांदोलन का समय निश्चित किया गया ।
कलेक्टर और जिला प्रशासन द्वारा कलेक्टर और एसपी आफिस के 100 मीटर दायरे में कोई भीड़ न जमा हो इसलिए प्रतिबंधनात्मक आदेश दिया गया ।
जब जिला प्रशासन द्वारा ये आदेश निकाला गया तो किसी भी तरह की भीड़ को एक स्थान पर जमा नही करने से विधायक कमलेश्वर डोडियार के जनांदोलन पर प्रशासन ने एक तरह से लगाम लगाने की कोशिश की ।
प्रतिबंधनात्मक आदेश को मानने से विधायक का इनकार, कलेक्टर को अपशब्द कहे ।
जब आदेश पब्लिक डोमेन में आया तब विधायक कमलेश्वर डोडियार अपने जनांदोलन के लिए आदिवासी समाज का आह्वान करने राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में आमसभा को संबोधित कर रहे थे । वहां सभा मे इस आदेश को लेकर विधायक ने कलेक्टर पर “तेरा बाप का राज है क्या, जो कोई भी आदेश निकाल देगा, ये जिला तेरी मर्ज़ी से नही चलेगा, कानून से चलेगा” ऐसी टिप्पणी की । विधायक कमलेश्वर डोडियार ने कलेक्टर पर फ़र्ज़ी जाति प्रमाणपत्र का आरोप भी लगाया । उनकी इस आमसभा का वीडियो तुरंत वायरल हो गया । सैलाना विधायक ये जिला प्रशासन के इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया, और जनांदोलन पर अड़े रहे ।
जनांदोलन के दिन सुबह विधायक कमलेश्वर डोडियार को हिरासत में लिया गया
बुधवार की सुबह आंदोलन स्थल पर लोगो का आना शुरू हो गया जैसे ही सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार आंदोलन स्थल पहुंचे पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर जेल भेज दिया । जिससे आंदोलन शुरू होने से पहले ही कमजोर हो गया चूंकि आंदोलन का नेतृत्व खुद विधायक कर रहे थे और अन्य कोई बड़ा नेता था नही । जैसे ही विधायक डोडियार की गिरफ्तारी हुई तो वहां उपस्थित लोगों ने विरोध करते हुए नारेबाजी की मगर संख्या कम होने से पुलिस को विधायक डोडियार को हिरासत में लेने में कोई ज्यादा मशक्कत नही करनी पड़ी । विधायक की गिरफ्तारी के बाद आन्दोलन स्थल पर भीड़ ज्यादा नही आ सकी । हालांकि पुलिस ने नगर की सभी सीमाओं पर भीड़ को रोकने के व्यापक इंतजाम किए थे । दिन भर आदिवासी नेता और बाप पार्टी के नेता भाषणबाजी करते रहे ।
निष्कर्ष
एक जनप्रतिधि से बत्तमीजी और गालीगलौज करने वाले डॉ सीपीएस राठौर पर उचित कार्यवाही हो जाती तो मामला आज समाप्त हो चुका होता । सरकारी डॉ का ये व्यवहार किसी जनप्रतिधि तो क्या आम आदमी के साथ भी हो तो स्वीकार्य नही है ।