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Reading: S.I.R. : बायोमेट्रिक जांच से लाखों संदिग्ध घुसपैठियों पर शिकंजा कसा
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INDIAMIX > देश > S.I.R. : बायोमेट्रिक जांच से लाखों संदिग्ध घुसपैठियों पर शिकंजा कसा
देश

S.I.R. : बायोमेट्रिक जांच से लाखों संदिग्ध घुसपैठियों पर शिकंजा कसा

SANJAY SAXENA
Last updated: 20/12/2025 11:13 AM
By
SANJAY SAXENA
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5 Min Read
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Biometric screening is tightening the noose around millions of suspected illegal immigrants.

संपादकीय/इंडियामिक्स भारत सरकार के सामने बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों के रूप में देश में घुसपैठ करने वाले लोगों की समस्या एक जटिल और संवेदनशील चुनौती बन चुकी है। ये घुसपैठिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और यहां तक कि पासपोर्ट तक प्राप्त कर चुके हैं, जिससे उनकी पहचान करना बेहद कठिन हो गया है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें, खासकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार, इस समस्या से निपटने के लिए तकनीकी, कानूनी और प्रशासनिक कदम उठा रही हैं, लेकिन संसाधनों की कमी, कानूनी जटिलताएं और मानवाधिकार संबंधी बाधाएं प्रक्रिया को धीमा कर रही हैं।

पहचान की प्रक्रिया में केंद्र सरकार ने आधार कार्ड को बायोमेट्रिक तकनीक से मजबूत किया है, जहां फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन के जरिए संदिग्ध दस्तावेजों की जांच होती है। उत्तर प्रदेश में 2019 के संयुक्त सर्वे में करीब 10 लाख घुसपैठियों की पहचान की संभावना जताई गई थी, और अब छह वर्षों में उनकी संख्या में खासा इजाफा हो चुका है। अधिकतर घुसपैठिए खुद को पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम या त्रिपुरा का निवासी बताते हैं और फर्जी आधार कार्ड दिखाते हैं, जो पश्चिम बंगाल या असम में एजेंटों द्वारा बनाए जाते हैं। वोटर सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत संदिग्ध नाम हटाए जा रहे हैं, जैसे पश्चिम बंगाल में 15,000 बांग्लादेशी घुसपैठियों को सीमा पर खदेड़ा गया। पासपोर्ट और पैन कार्ड की प्रक्रिया में भी कड़ी निगरानी बढ़ाई गई है ताकि फर्जी दस्तावेज न बन सकें।

निष्कासन की प्रक्रिया विदेशी नागरिक अधिनियम और नागरिकता संशोधन कानून पर आधारित है। संदिग्धों को डिटेंशन सेंटरों में रखा जाता है, जहां उनकी नागरिकता सत्यापित होती है। देशभर में दिल्ली सहित 18 डिटेंशन सेंटर कार्यरत हैं, जहां 1500 से अधिक विदेशी नागरिक रखे गए हैं, जिनमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या शामिल हैं। 2025 में मुंबई पुलिस ने 1001 बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजा, जबकि असम और अन्य राज्यों से 142 रोहिंग्याओं का निष्कासन हुआ। बीएसएफ ने जनवरी 2024 से दिसंबर 2025 तक भारत-बांग्लादेश सीमा पर 2601 घुसपैठियों को पकड़ा। हालांकि, कई घुसपैठिए सीमा पार होने के बाद कुछ किलोमीटर दूर से वापस लौट आते हैं, और बांग्लादेश की सेना उन्हें अपना नागरिक मानने से इंकार कर देती है।

योगी सरकार ने इस मुद्दे पर सबसे आक्रामक रुख अपनाया है। उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या बस्तियों में 700 से 800 लोगों की पहचान हो चुकी है, जबकि 250 अन्यों का सत्यापन चल रहा है। लखनऊ से 160 घुसपैठी रातों रात भाग गए, और मेरठ में 500 क्षमता वाला डिटेंशन सेंटर बन रहा है। हर मंडल में डिटेंशन सेंटर स्थापित हो रहे हैं, साथ ही बायोमेट्रिक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है ताकि घुसपैठिए दोबारा न लौटें। सहारनपुर में ऑपरेशन टॉर्च चल रहा है, जहां झुग्गी-झोपड़ियों, रेलवे स्टेशनों और सीमावर्ती इलाकों में तलाशी ली जा रही है। मुख्यमंत्री ने जनता से सहयोग मांगा है और वोटर सूची से नाम हटाने तथा कानूनी कार्रवाई का वादा किया है। रोहिंग्या आबादी पूरे भारत में करीब 40,000 बताई जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह संख्या लाखों में हो सकती है।

इन प्रयासों के पीछे कई चुनौतियां हैं। पहचान के बाद सत्यापन में समय लगता है क्योंकि 10 लाख से अधिक घुसपैठिए छिपे हैं, जैसे कोलकाता में लाखों बांग्लादेशी फर्जी कागजों पर सरकारी लाभ ले रहे हैं। मूल निवासी वाले पूर्वोत्तर राज्यों से सत्यापन कराना मुश्किल होता है क्योंकि एजेंट नेटवर्क मजबूत है। मानवाधिकार संगठन और रेड क्रॉस निष्पक्षता की निगरानी करते हैं, जिससे प्रक्रिया धीमी पड़ती है। संसाधनों की कमी से उत्तर प्रदेश जैसे घनी आबादी वाले राज्य में अभियान प्रभावी ढंग से नहीं चल पाते। डिजिटल निगरानी, सैटेलाइट इमेजरी और पुलिस-राजस्व विभाग की संयुक्त टीमें काम कर रही हैं, लेकिन सीमावर्ती जंगलों, खेतों और नदियों में घुसपैठ जारी है। सामाजिक तनाव से बचने के लिए स्थानीय निवासियों के हितों का ध्यान रखना पड़ता है।

कुल मिलाकर, केंद्र सरकार ने गृह मंत्रालय के गजट नोटिफिकेशन से सभी राज्यों को डिटेंशन सेंटर बनाने के निर्देश दिए हैं। योगी सरकार के कदमों से घुसपैठियों में खौफ फैला है, जिसका असर पश्चिम बंगाल और बिहार तक दिख रहा है। यदि संसाधन बढ़ें, अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिले और सत्यापन प्रक्रिया तेज हो, तो घुसपैठ रोकी जा सकती है। यह सुरक्षा, आर्थिक बोझ और सामाजिक शांति का संतुलन है, जहां तकनीक, कानून और प्रशासन की भूमिका निर्णायक होगी। देश की सीमाएं सुरक्षित रखने के लिए निरंतर सतर्कता और जन सहयोग आवश्यक है।  

डिस्क्लेमर

 खबर से सम्बंधित समस्त जानकारी और साक्ष्य ऑथर/पत्रकार/संवाददाता की जिम्मेदारी हैं. खबर से इंडियामिक्स मीडिया नेटवर्क सहमत हो ये जरुरी नही है. आपत्ति या सुझाव के लिए ईमेल करे : editor@indiamix.in

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