DRDO का उपग्रह ‘सिंधु नेत्र’ अंतरिक्ष में स्थापित, हिन्द महासागर के समुद्री इलाके की निगरानी आसान

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सिन्धु नेत्र ने अंतरिक्ष में पहुंचते ही शुरू किया जमीनी प्रणालियों के साथ संचार, हिन्द महासागर क्षेत्र के समुद्री इलाके की निगरानी में करेगा मदद, भारतीय क्षेत्रों के साथ ही चीन-पाकिस्तान की सीमा पर रहेगी नजर 

Drdo का उपग्रह 'सिंधु नेत्र' अंतरिक्ष में स्थापित, हिन्द महासागर के समुद्री इलाके की निगरानी आसान
DRDO का उपग्रह 'सिंधु नेत्र' अंतरिक्ष में स्थापित, हिन्द महासागर के समुद्री इलाके की निगरानी आसान 2

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को 19 उपग्रहों के साथ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के ‘सिंधु नेत्र’ निगरानी उपग्रह को भी अन्तरिक्ष में भेजा है। अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक तैनात होने के बाद इस उपग्रह ने जमीनी प्रणालियों के साथ संचार करना भी शुरू कर दिया है। डीआरडीओ का यह उपग्रह हिन्द महासागर क्षेत्र के समुद्री इलाके की निगरानी में मदद करने के साथ ही चीन और पाकिस्तान की सीमा पर भी नजर रखेगा।  


हिन्द महासागर क्षेत्र (आईओआर) में सैन्य युद्धपोत और मर्चेंट शिपिंग गतिविधियों पर नजर रखने के लिए देश की निगरानी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिकों की एक टीम ने ‘सिंधु नेत्र’ उपग्रह विकसित किया है। यह आईओआर में सक्रिय युद्धपोतों और व्यापारिक जहाजों की स्वचालित रूप से पहचान करने में सक्षम है। आज सुबह 10:30 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक तैनात होने के बाद इस उपग्रह ने जमीनी प्रणालियों के साथ संचार करना भी शुरू कर दिया है। जरूरत पड़ने पर यह उपग्रह दक्षिण चीन सागर या खाड़ी और अदन की खाड़ी के पास के समुद्री क्षेत्रों में भी निगरानी करने में मदद कर सकता है।


डीआरडीओ के सूत्रों का कहना है कि ‘सिंधु नेत्र’ उपग्रहों की श्रृंखला में पहला है जो चीन के साथ लद्दाख क्षेत्र और पाकिस्तान के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में भूमि पर अपनी निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा। यह उपग्रह 3,488 किलोमीटर लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सभी भारतीय क्षेत्रों के पास चीनी सेना की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेगा। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को लगता है कि इस तरह के चार और उपग्रह की आवश्यकता है जो दुश्मन की हर चाल पर नजर रखने में मदद कर सकते हैं। दुनिया में बदलते युद्ध के पारंपरिक तौर-तरीके और ‘मॉडर्न वार’ को देखते हुए चीन एवं अमेरिका की तर्ज पर तीनों सेनाओं को एक करने का फैसला लिया गया है। कुल पांच कमांड बननी हैं जिनमें तीन कमांड्स की अंतरिक्ष से लेकर साइबर स्पेस और जमीनी युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। 
इसी क्रम में डिफेंस स्पेस एजेंसी (डीएसए) की स्थापना के साथ-साथ सरकार ने अंतरिक्ष सामग्रियों की क्षमता देखने के लिए डिफेंस स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन भी बनाया है। निकट भविष्य में रक्षा बलों की अंतरिक्ष शाखा को मजबूत किया जाना है। डिफेंस स्पेस एजेंसी का गठन भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेनाओं को मिलाकर किया गया है जिसका मुख्यालय बेंगलुरु (कर्नाटक) में बनाया गया है। इस एजेंसी को भारत के अंतरिक्ष युद्ध और सेटेलाइट इंटेलिजेंस परिसंपत्तियों के संचालन का काम सौंपा गया है। इस एजेंसी को भविष्य में पूर्ण आकार की त्रि-सेवा सैन्य कमान में परिवर्तित किये जाने की उम्मीद है। इस कमांड का नेतृत्व सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस के हाथों में होगा। (हि.स.)

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