
बीकानेर/इंडियामिक्स भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में सौर ऊर्जा ने जमीनों की चमक बढ़ा दी है। हालात ये है कि भू माफिया और अफसरों के गठजोड़ ने वन विभाग की अधिसूचित जमीनों तक को नहीं छोड़ा। पिछले करीब एक साल में 1305 बीघा जमीन फर्जी तरीके से किसानों को बेचने का खुलासा हुआ है। आवंटन निरस्त कराने के लिए अब 47 काश्तकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है।
छत्तरगढ़ के चक 6 डीएलएम में वन विभाग की 80 बीघा जमीन हड़पने का मामला सामने आया है। वर्ष 2016 में तत्कालीन उपखंड अधिकारी के एक आदेश की आड़ में वन विभाग को आवंटित 1125 बीघा जमीन में से 80 बीघा को अराजीराज किया। इसमें से 40 बीघा जमीन एक किसान को बेच डाली। उसके बाद बची 40 बीघा भी बेचने की तैयारी चल रही थी। उसी दौरान जमीन घोटाले उजागर होने से अफसर डर गए।
हैरत की बात ये है कि नामांतरण संख्या 153 से 40 बीघा जमीन राजस्व रिकॉर्ड में पोर्टल पर ऑन लाइन तो नजर आ रही है, लेकिन उसके दस्तावेज गायब हैं। गड़बड़झाला इतना है कि जिस जमीन को कमांड बताकर बेचा गया वह जमाबंदी में अनकमांड है। बताया जा रहा है कि पास ही नहर की दामोलाई माइनर है, जिसका पानी जमीन में लगता है। वहां जमीनों की कीमत करीब तीन से चार लाख रुपए बीघा है।
इस हिसाब से 2 करोड़ 40 लाख रुपए कीमत की जमीन को लेकर हेराफेरी वन विभाग की जांच में सामने आई है। दरअसल उपनिवेशन विभाग ने 1983 में एक परिपत्र जारी कर शर्त लगा दी थी कि जमीन कमांड होने पर वन विभाग का आवंटन निरस्त समझा जाएगा। इसके आधार पर दोहरे आवंटन मामलों का निस्तारण करने की आड़ में वन विभाग की जमीनें बेच दी गईं, जबकि 1980 में फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट प्रभावी होने के कारण यह शर्त 2012 में उपनिवेशन ने ही प्रत्याहारित कर ली थी। बता दें राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 के तहत वन विभाग की जमीन किसी को आवंटित नहीं की जा सकती।
सबसे ज्यादा निवेश सौर ऊर्जा में, इसलिए जमीनें बिक रहीं
राजस्थान राइजिंग ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में इस बार सबसे ज्यादा निवेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहा है। 26 लाख करोड़ के प्रस्ताव केवल ऊर्जा क्षेत्र के लिए हैं। इनमें 20 हजार करोड़ से अधिक का निवेश केवल बीकानेर जिले में होगा। इसे देखते हुए पूगल, छत्तरगढ़, खाजूवाला, कोलायत, लूणकरणसर आदि क्षेत्रों में जमीनों की खरीद फरोख्त बड़े पैमाने पर हो रही है। गौरतलब है कि पूगल और छत्तरगढ़ में 169 बीघा जमीन फर्जी तरीके से सोलर कंपनियों को बेच दी गई थी। इसे देखते हुए इस बार भी फर्जी आवंटन की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
प्रशासन गांव के संग शिविर में हुए थे जमीन के फर्जीवाड़े
छत्तरगढ़, पूगल, खाजूवाला में सोलर कंपनियों के आने से जमीनों के भाव आसमान छूने लगे हैं। इसकी आड़ में सरकारी और वन विभाग की जमीन को बेचने का गोरखधंधा उजागर हुआ। सभी गड़बड़ियां प्रशासन गांव के संग शिविर के दौरान हुईं। इसे लेकर पुलिस थानों और एसीबी में अब तक मुकदमे चल रहे हैं। दो आरएएस अधिकारी, तीन तहसीलदार सहित 34 अधिकारियों और कर्मचारियों को पिछले साल निलंबित किया जा चुका है। वन विभाग की खाजूवाला बॉर्डर पर चक 4 पीडब्ल्यूएम में 865 बीघा, छत्तरगढ़ के चक 2 डीएलएम में 270 बीघा, चक 1 आरएसएम में 90 बीघा और 6 डीएलएम में 80 बीघा भूमि का फर्जी आवंटन हुआ है।
इन 3 बिंदुओं से जानिए कैसे हुए वन विभाग की जमीनों के फर्जीवाडे
- खाजूवाला के चक 4 पीडब्ल्यूएम में 1978 में वन विभाग को 4250 बीघा जमीन चारागाह विकास के लिए दी गई थी। इसमें से 865 बीघा जमीन 2020 से 2024 के बीच निजी खातेदारों के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर दी गई। बाकी 3385 बीघा जमीन अभी भी अराजीराज है।
- छत्तरगढ़ के चक 2डीएलएम में वन विभाग की 1200 बीघा जमीन को अराजीराज घोषित कर दिया। इसमें से 270 बीघा का आवंटन काश्तकारों को कर दिया गया। जांच कमेटी ने आवंटन गलत माना, लेकिन जमीन अब तक वन विभाग के रिकॉर्ड में नहीं चढ़ाई है।
- चक 1 आरएसएम में 1600 बीघा में से 90 बीघा का फर्जी आवंटन किया गया था। यह जमीन न्यायिक प्रक्रिया से वापस वन विभाग नाम करनी है, लेकिन छत्तरगढ़ तहसील में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
“रेंज अधिकारी वन बंदोबस्त डॉ योगेन्द्र सिंह राठौड़ ने इन गड़बड़ियों की जांच की थी। जिला कलेक्टर को सभी दस्तावेज सौंप दिए गए हैं। निजी खातेदारों को आवंटित जमीन निरस्त करवाने के लिए विधिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी।”
-वीर भद्र मिश्र, डीएफओ छत्तरगढ़
“खाजूवाला बॉर्डर पर चक 4 पीडब्ल्यूएम में वन विभाग की जमीन रिकॉर्ड ऑन लाइन होने पर अराजीराज हो गई थी। वन विभाग के नाम दर्ज नहीं हो सकी। अब कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी इसका नामांतरण करेगी। हमने प्रस्ताव भेज दिए हैं।”
-कमलेश सिंह, तहसीलदार, खाजूवाला