कोरोना महामारी से जंग में राजस्थान भीलवाड़ा एक आदर्श मॉडल के रूप में सामने आया है. कभी यह राज्य के सबसे प्रभावित जिलों में से एक था, लेकिन आज भीलवाड़ा दूसरों के लिए मिसाल बन गया है.
भीलवाड़ा: इंडियामिक्स न्यूज़ कोरोना महामारी से जंग में राजस्थान भीलवाड़ा एक आदर्श मॉडल के रूप में सामने आया है. कभी यह राज्य के सबसे प्रभावित जिलों में से एक था, लेकिन आज भीलवाड़ा दूसरों के लिए मिसाल बन गया है कि कोरोना से खिलाफ लड़ाई कैसे जीती जा सकती है. जयपुर से 240 किमी दूर भीलवाड़ा में लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया गया, और एक खास रणनीति तैयार की गई, जिसकी बदौलत वायरस को बेकाबू होने से पहले नियंत्रित किया जा सका.
स्वास्थ्य कर्मियों ने ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने के लिए समय की परवाह किए बिना काम किया. नतीजतन संक्रमित व्यक्तियों का पता लगाने में सरकार को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि जिले की 100 फीसदी आबादी की जांच सुनिश्चित की गई है.
भीलवाड़ा जिले जिले में कुल 1,910 गांव हैं और हर पंचायत, पंचायत समिति और स्थानीय एसडीएम एवं बीडीओ कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के अभियान में शामिल रहे. कोरोना से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन ने खास रणनीति तैयार की, जिसके तहत एसडीएम और बीडीओ को ‘कोरोना कैप्टन’ नियुक्त किया गया. जिन्होंने शिक्षकों और आशा कार्यकर्ताओं के बीच से चार-पांच लोगों को बतौर ‘कोरोना फाइटर्स’ के रूप में चुना. इन फाइटर्स का काम घर-घर जाकर जाना, निगरानी करना और संक्रमण के बारे में लोगों के बीच जागरुकता फैलाना था. जिले के 32 लाख लोगों तक पहुंचने के लिए 3,000 टीमों का गठन किया गया और करीब 6,000 लोगों क्वारंटाइन किया गया, ताकि वायरस के फैलाव को सीमित किया जा सके.
इस रणनीति के तहत भीलवाड़ा ने दी कोरोना को मात
-तुरंत कर्फ्यू लगाने, जिले की सीमाओं को सील करने और सार्वजनिक एवं निजी वाहनों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगाने का निर्णय लिया गया. लॉकडाउन पर प्रभावी रूप से अमल किया गया.
-पॉजिटिव मामलों और उनके संपर्कों की तत्काल मैपिंग की गई.
– तुरंत शहर के भीतर एक किलोमीटर का कंटेनमेंट जोन बनाया गया फिर व्यापक स्तर पर सर्वेक्षण शुरू किया गया. 3000 लोगों की टीम के साथ 2,15,000 घरों तक पहुंचा गया और स्क्रीकिंग की गई. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, शहरी और ग्रामीण भीलवाड़ा में 6,50,000 से अधिक घरों और 24 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई. इस तरह जिले के प्रत्येक व्यक्ति को कवर किया गया.
– पूरे भीलवाड़ा जिले को सील कर दिया गया और 27 चौकियां स्थापित की गईं. सीमाएं सील कर दी गईं.
– प्रशासन ने जिले के सभी होटलों को अधिग्रहीत कर लिया और होटलों के 1541 कमरों को क्वारंटीन सेंटर में तब्दील किया गया. जहां लगभग एक हजार लोगों को रखा गया.
– 20 मार्च को लागू किये गए लॉकडाउन को 3 अप्रैल से सख्त कर्फ्यू में बदल दिया गया. 20 मार्च से 2 अप्रैल के बीच, आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाले स्टोरों को खोलने की अनुमति दी गई थी.
– 3 अप्रैल को आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानों को भी बंद करने का आदेश दिया गया. हालांकि, उन्हें होम डिलीवरी की अनुमति थी. किसी भी व्यक्ति के पूर्व अनुमति के बिना घर से बाहर निकलने पर रोक लगाई गई.
-किसी को भी शहर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई. केवल पुलिस और जिला प्रशासन के कुछ अधिकारी ही शहर गए. एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जनता ने भी सरकारी प्रयासों में पूरा साथ दिया.