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Reading: राजनीति: इमरान मसूद के सुर बदले, प्रियंका को पीएम बनाने की मांग
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INDIAMIX > राजनीति > राजनीति: इमरान मसूद के सुर बदले, प्रियंका को पीएम बनाने की मांग
राजनीति

राजनीति: इमरान मसूद के सुर बदले, प्रियंका को पीएम बनाने की मांग

SANJAY SAXENA
Last updated: 24/12/2025 12:25 AM
By
SANJAY SAXENA
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10 Min Read
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Imran Masood changes his tune, demands that Priyanka be made Prime Minister.

राजनीति/इंडियामिक्स कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने एक झटके में अपनी पार्टी के नेतृत्व को नई बहस की लपटों में झोंक दिया है। कल तक वे राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बातें करते फिरते थे, लेकिन अब उनका सुर बदल चुका है। एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में इमरान ने खुलकर प्रियंका वाड्रा को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत कर दी। उन्होंने कहा कि प्रियंका को पीएम बना दो, वे बांग्लादेश को जवाब देना सिखा देंगी। यह बयान सुनते ही राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। इमरान यहीं नहीं रुके। उन्होंने प्रियंका को इंदिरा गांधी की पोती बताते हुए कहा कि प्रियंका उसी काबिल हैं जो पाकिस्तान को वो दर्द देंगी, जो आज भी उसके जख्मों को महसूस कराता है। 1971 की जंग का जिक्र करते हुए इमरान ने प्रियंका को वह नेतृत्वकारी छवि दी, जो कांग्रेस को लंबे समय से तलाश है।इस बयान ने न सिर्फ विपक्षी दलों को हथियार दे दिया है, बल्कि कांग्रेस के अंदर भी खलबली मचा दी है। सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस ने मान लिया है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री की दौड़ से बाहर हो चुके हैं? बीजेपी ने तो लंबे समय से राहुल को निशाना बनाया है, लेकिन अब कांग्रेस के अपने नेता ही प्रियंका को आगे लाने की बात कर रहे हैं। इमरान मसूद अकेले नहीं हैं। पार्टी के कई नेता खुलेआम या इशारों में प्रियंका को शीर्ष पद का हकदार मानते हैं। उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में यह बहस और तेज हो गई है, जहां विधानसभा चुनावों की सरगर्मी पहले से ही चरम पर है।



कांग्रेस में प्रियंका का उदय कोई नई बात नहीं है। वे 2019 से ही पार्टी महासचिव हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। लेकिन इमरान का बयान पहली बार इतना स्पष्ट और आक्रामक है। उन्होंने बांग्लादेश का मुद्दा उठाकर प्रियंका को राष्ट्रीय सुरक्षा का चेहरा बनाने की कोशिश की। हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरें सुर्खियां बनी हैं। इमरान ने इशारों में मोदी सरकार पर निशाना साधा कि प्रियंका जैसी मजबूत नेता के नेतृत्व में भारत बांग्लादेश को कड़ा जवाब दे सकता है। यह बयान कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा लगता है या व्यक्तिगत फ्रस्ट्रेशन? राजनीतिक विश्लेषक इसे पार्टी के अंदरूनी असंतोष का संकेत मान रहे हैं।कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार की भूमिका हमेशा से केंद्र में रही है। इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 और फिर 1980 से 1984 तक देश को लोहा दिखाया। सोनिया गांधी ने 2004 में पीएम पद ठुकराकर यूपीए की सरकार चलाई। राहुल गांधी 2017 में अध्यक्ष बने, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया। उसके बाद से पार्टी बिना स्थायी अध्यक्ष के चल रही है। प्रियंका की एंट्री ने पार्टी को उत्तर प्रदेश में कुछ हद तक संजीवनी दी। 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 99 सीटें जीतीं, जिसमें यूपी से 6 सीटें शामिल हैं। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर प्रियंका को शीर्ष नेता के रूप में पेश न करने का फैसला अब सवालों के घेरे में है।


का बयान इसी दुविधा को उजागर करता है। सांसद मसूद सहारनपुर से हैं, जो पश्चिमी यूपी का संवेदनशील लोकसभा क्षेत्र है। वे पुराने कांग्रेसी हैं और पार्टी लाइन से कभी हटे नहीं। लेकिन अब उनका यह बयान बताता है कि आधार स्तर पर कार्यकर्ता राहुल से निराश हैं। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस को कुछ गति दी, लेकिन विपक्षी एकता में उनकी भूमिका सीमित रही। गठबंधन में ममता बनर्जी, नीतीश कुमार जैसे नेता राहुल को स्वीकार नहीं कर पाए। प्रियंका की आक्रामक शैली को वे ज्यादा प्रभावी मानते हैं। पार्टी के अंदर कई नेता मानते हैं कि प्रियंका इंदिरा जैसी करिश्माई हैं। उनकी सभाओं में भीड़ उमड़ती है और वे मोदी सरकार पर सीधा हमला बोलती हैं।बीजेपी ने इस बयान को हवा दी है। अमित मालवीय जैसे नेता ट्वीट कर कह रहे हैं कि कांग्रेस ने राहुल को “पप्पू” मान लिया है। लेकिन सच्चाई यह है कि कांग्रेस कार्यकारी समिति में प्रियंका को सीडब्ल्यूसी (केंद्रीय कार्यसमिति) में जगह मिली है। मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष हैं, लेकिन फैसले परिवार के इशारों पर ही होते हैं। इमरान का बयान पार्टी के उस धड़े की आवाज है जो प्रियंका को आगे देखना चाहता है। यूपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा नेता पहले ही प्रियंका की तारीफ कर चुके हैं।



इमरान मसूद कांग्रेस के उन नेताओं में से हैं जो विवादों से अछूते नहीं। 2014 में उन्होंने बीजेपी नेता संगीत सोम के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी पड़ी। लेकिन उनकी निष्ठा पार्टी के प्रति अटल रही। 2024 में वे सहारनपुर से सांसद बने। मुस्लिम बहुल इस सीट पर उनका बयान प्रियंका को मुस्लिम वोट बैंक से जोड़ने की कोशिश लगता है। बांग्लादेश का जिक्र करके उन्होंने अल्पसंख्यक मुद्दे को राष्ट्रीय पटल पर ला दिया। प्रियंका को इंदिरा से जोड़ना एक मास्टर स्ट्रोक है। 1971 की जंग में इंदिरा ने बांग्लादेश को आजादी दिलाई, पाकिस्तान को पटखनी दी। इमरान ने इसी इतिहास को प्रियंका से लिंक किया।यह बयान संयोग नहीं है। हाल ही में बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरी। वहां हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ा। मोदी सरकार ने कड़ा रुख अपनाया। कांग्रेस ने इसे कमजोर विदेश नीति बताया। इमरान ने प्रियंका को इस मुद्दे पर मजबूत नेता के रूप में पेश किया। क्या यह पार्टी की सोची-समझी रणनीति है? या इमरान ने अपनी फ्रस्ट्रेशन निकाली? जानकारों का मानना है कि यूपी चुनावों से पहले प्रियंका को मजबूत करने की कवायद चल रही है। प्रियंका पहले ही अमेठी-रायबरेली में सक्रिय हैं। अगर वे पीएम कैंडिडेट बनीं, तो परिवार का वोट बैंक मजबूत होगा।



हालांकि, इमरान अकेले नहीं हैं। पंजाब के नेता अमरिंदर सिंह राजा वाडिंग ने पहले प्रियंका को पीएम बताया था। केरल से शशि थरूर ने इशारों में कहा कि पार्टी को नई लीडरशिप चाहिए। यूपी में पीएल पुनिया, सुप्रिया श्रीवास्तव जैसे नेता प्रियंका की तारीफ करते हैं। युवा ब्रिगेड में कन्हैया कुमार, जयराम रमेश प्रियंका के साथ ज्यादा दिखते हैं। राहुल की यात्राओं में प्रियंका का साथ रहता है, लेकिन सभाओं में उनकी मौजूदगी ज्यादा प्रभावी साबित होती है। पार्टी के 20 प्रतिशत से ज्यादा नेता खुलकर प्रियंका को पसंद करते हैं। यह ट्रेंड बीजेपी की तरह है। वहां मोदी के बाद योगी या शाह की चर्चा होती है। लेकिन कांग्रेस में परिवारवाद की जकड़न है। सोनिया की सेहत खराब होने से प्रियंका का रोल बढ़ा है। 2024 चुनावों में प्रियंका ने 17 सितारों का प्रचार किया। उनकी साख यूपी में मजबूत है। बीजेपी नेता इसे “परिवार का अंतर्कलह” कह रहे हैं। लेकिन कांग्रेस इसे खारिज कर रही है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीवास्तव ने कहा कि इमरान का बयान व्यक्तिगत है। फिर भी बहस थमने का नाम नहीं ले रही।



इमरान का यह बयान 2029 के लोकसभा चुनावों की दौड़ बदल सकता है। अगर प्रियंका पीएम कैंडिडेट बनीं, तो विपक्षी एकता मजबूत हो सकती है। ममता, अरविंद केजरीवाल उन्हें स्वीकार कर सकते हैं। राहुल उपाध्यक्ष या रणनीतिकार बन सकते हैं। लेकिन परिवार को यह फैसला लेना होगा। प्रियंका ने खुद कहा है कि वे पीएम नहीं बनेंगी। लेकिन इमरान जैसे नेताओं के दबाव से स्थिति बदल सकती है। यूपी चुनावों में प्रियंका की भूमिका तय करेगी कि पार्टी कितना आगे बढ़ती है। बीजेपी इसे कमजोरी के रूप में भुनाएगी। मोदी की छवि मजबूत है। प्रियंका को “परिवारवाद” का ठप्पा लगेगा। लेकिन अगर कांग्रेस प्रियंका को आगे लाई, तो मुस्लिम-यादव वोट एकजुट हो सकता है। इमरान का बयान कांग्रेस के लिए दोधारी तलवार है। एक तरफ नई ऊर्जा, दूसरी तरफ आंतरिक कलह। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि प्रियंका का समय आ गया है। राहुल की यात्राएं जारी हैं, लेकिन प्रियंका की आक्रामकता पार्टी को जिताने वाली हो सकती है।कुल मिलाकर इस बहस ने कांग्रेस को आईना दिखाया है। क्या पार्टी राहुल को फिर मौका देगी या प्रियंका को आगे करेगी? उत्तर प्रदेश से शुरू हुई यह चिंगारी राष्ट्रीय स्तर पर फैल चुकी है। इमरान मसूद ने एक बयान से जो हलचल मचा दी, वो लंबे समय तक गूंजती रहेगी। राजनीति में बदलाव यूं ही आते हैं, एक सांसद के सुर बदलने से। 

डिस्क्लेमर

 खबर से सम्बंधित समस्त जानकारी और साक्ष्य ऑथर/पत्रकार/संवाददाता की जिम्मेदारी हैं. खबर से इंडियामिक्स मीडिया नेटवर्क सहमत हो ये जरुरी नही है. आपत्ति या सुझाव के लिए ईमेल करे : editor@indiamix.in

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