
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा बलों ने आतंकवाद विरोधी रणनीति में बदलाव किया है, जिसके कारण उन्हें 48 घंटे में दक्षिण कश्मीर में दो कमांडरों समेत छह स्थानीय आतंकवादियों को मार गिराने में मदद मिली। इस बीच मंगलवार से अब तक दक्षिण कश्मीर के शोपियां और अवंतीपोरा में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में लश्कर-ए-तोएबा और जैश-ए-मोहम्मद के तीन-तीन आतंकवादी मारे गए हैं। पुलिस, सेना और केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में शुक्रवार को यहां अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों अभियानों की सफलता सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बीच ‘सहज समन्वय’ के कारण है। कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विधि कुमार बिरदी ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले ने मौजूदा सुरक्षा रणनीति की व्यापक समीक्षा को प्रेरित किया है।
प्रेस ब्रीफ्रिंग में सेना के ‘विक्टर फोर्स’ के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल धनंजय जोशी और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पुलिस महानिरीक्षक मितेश जैन भी मौजूद थे। श्री बिरधी ने कहा कि कश्मीर घाटी में बढ़ती आतंकी गतिविधियों के मद्देनजर यहां तैनात सभी सुरक्षा बलों ने अपनी रणनीतियों की समीक्षा की। समीक्षा के बाद ऑपरेशन पर अधिक ध्यान दिया गया। इस गहन चिंतन और समन्वय के आधार पर हमने पिछले 48 घंटों में दो सफल ऑपरेशन किए जिसके दौरान हमें महत्वपूर्ण उपलब्धि मिली। दोनों ऑपरेशनों में छह आतंकवादियों को मार गिराया गया है। उन्होंने कहा कि शोपियां और त्राल अवंतीपोरा में एक-एक ऑपरेशन सीआरपीएफ, भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के बीच सहज समन्वय के कारण संभव हुआ। उन्होंने इन आपरेशनों में खुफिया एजेंसियों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी स्वीकार किया। इस बीच श्री जैन ने कहा कि सभी सुरक्षा एजेंसियां यहां आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र या किसी भी आतंकी गतिविधि को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। जनरल जोशी ने ऑपेरशन के बारे में और जानकारी देते हुए बताया कि ऑपरेशन ‘नादर’ त्राल और केलर शोपियां पर पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा बलों द्वारा कुछ खास इलाकों को लक्षित करके किया गया।
उन्होंने कहा कि दोनों ऑपरेशन अलग-अलग इलाकों में किए गए थे – एक शोपियां के घने जंगलों में और दूसरा पुलवामा जिले के त्राल के आबादी वाले गांव में। इस बीच जनरल जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमें खुफिया जानकारी मिल रही थी कि बर्फ पिघलने के बाद आतंकवादी समूह जंगलों में ऊंचे इलाकों में चले गए हैं और इसे ध्यान में रखते हुए हमारे दलों को लगातार वहां तैनात किया गया था। उन्होंने कहा कि 12 मई की रात उन्हें शोपियां के केलर के ऊपरी इलाकों में एक आतंकवादी समूह की मौजूदगी के बारे में जानकारी मिली थी। अधिकारी ने कहा कि इन इलाकों में पहले से ही तैनात दलों ने अपनी स्थिति बदल ली है। गत 13 मई की सुबह हमारे सैनिकों ने कैलार के ऊंचे जंगलों में संदिग्ध हलचल देखी। चुनौती दिए जाने पर आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू की और सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि खतरनाक इलाके और काम को अंजाम देने की कठिन स्थितियों के बावजूद सैनिकों ने भीषण गोलीबारी के बाद आतंकवादियों को सफलतापूर्वक मार गिराया। अधिकारी ने कहा कि त्राल में दूसरे ऑपरेशन में चुनौती अलग थी। उन्होंने बताया कि त्राल में दूसरे ऑपरेशन में चुनौती अलग थी। उन्होंने कहा कि एक गांव में आतंकवादियों के एक समूह के छिपे होने की विशेष खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करते हुए सुरक्षा बलों ने तुरंत इलाके की घेराबंदी कर दी।
आतंकवादियों ने कई घरों के अंदर पोजिशन लेकर नागरिकों की मौजूदगी का फायदा उठाने की कोशिश की। हमारी प्राथमिक चिंता महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित ग्रामीणों को बिना किसी नुकसान के बाहर निकालना था। नागरिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के बाद सुरक्षा बलों ने व्यवस्थित तरीके से घर-घर तलाशी ली और अंतत: गांव के भीतर अलग-अलग स्थानों पर छिपे आतंकवादियों को मार गिराया। दोनों ऑपरेशन सैनिकों की अनुकूलनशीलता और दृढ़ संकल्प को रेखांकित करते हैं चाहे वे चुनौतीपूर्ण ऊंचाई वाले जंगलों में हों या घनी आबादी वाले गांवों में। जनरल जोशी ने बताया कि मारे गए आतंकवादियों में से एक लश्कर का स्थानीय कमांडर शाहिद कुट्टे था जो एक सरपंच की हत्या और एक रिसॉर्ट में विदेशी पर्यटक पर हमले समेत कई मामलों में शामिल था। शोपियां ऑपरेशन में उसके साथ मारा गया उसका सहयोगी भी एक स्थानीय गैर-प्रवासी नागरिक की हत्या के लिए वांछित था। उन्होंने कहा कि इन दो आतंकी मॉड्यूलों के खात्मे से क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों की परिचालन क्षमताओं पर गंभीर असर पड़ेगा। इस बीच सीआरपीएफ के पुलिस महानिदेशक ने बताया कि ये दोनों ऑपरेशन सुरक्षा बलों के समन्वय और पेशेवर तरीके से संभव हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह समन्वय भविष्य में भी बना रहेगा और इसके माध्यम से हम जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म कर पाएंगे। मैं जनता को उनके समर्थन के लिए भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जो साबित करता है कि लोग चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का खात्मा हो।