अजरबैजान में 98 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिमों की है। यहां मां भगवती का बहुत प्राचीन मंदिर मौजूद है
अजरबैजान नाम के मुस्लिम देश में भी मां दुर्गा शक्ति रूप में विराजमान हैं। अजरबैजान में 98 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिमों की है। यहां मां भगवती का बहुत प्राचीन मंदिर मौजूद है, जिसे टेम्पल ऑफ फायर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर अजरबैजान के सुराखानी नामक जगह पर स्थित है। इस मंदिर में एक ज्वाला जलती रहती है और पास में मां का त्रिशुल भी मौजूद है। मां इस मंदिर में ज्योत रूप में विराजमान हैं। मां के मंदिर की दिवार पर गुरुमुखी लिपी शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।
माना जाता है कि सौ साल पहले भारत के एक हिंदू व्यापारी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। कुछ इतिहास के जानकारों का मानना है कि मंदिर का निर्माण बुद्धदेव ने करवाया था, जो कुरुक्षेत्र के गांव में निवास करते हैं। मंदिर में संवत् 1783 में इसका उल्लेख किया गया है। वहीं कुछ अन्य जानकारी के अनुसार, उत्तमचंद और शोभराज ने मंदिर निर्माण में महान भूमिक निभाई थी। जब हिंदू व्यापारी इस रास्ते गुजरते थे, तब वह यहां माथा जरूर टेकते थे। यहां पहले भारतीय पुजारी पूजा करते थे लेकिन 1860 में तुगलकी फरमान के बाद यहां से भारतीय पुजारी चले गए। तब से यह मंदिर विरान पड़ा है, इस मंदिर में अब कोई भी नहीं आता।
युद्ध ग्रस्त अज़रबैजान देश मे मां भवानी की शक्तिपीठ में आज भी 3000 वर्षों से इस मंदिर में जल रही है माँ भवानी की अखंड ज्वाला ।
सोवियत रूस के पूर्व देश अर्मेनिया और मुस्लिम देश अजरबेजान वर्तमान में युद्धग्रस्त है। इसी अज़रबैजान की ईरान सीमा के निकट हम हिन्दुओं का एक माँ भवानी की शक्तिपीठ है।
इस शक्तिपीठ में अखंड ज्वाला आज से 3 हजार साल से यू हीं जल रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, ऐसा उस देश का विज्ञान और वैज्ञानिक कह रहे हैं जिसकी 90% आबादी मुस्लिम है यानी अजरबेजान।
1860 तक यहाँ हिन्दू और फ़ारसी इस मंदिर में पूजा किया करते थे। आज यह मंदिर खण्डर है, पर इसकी ज्वाला आज भी जल रही है। जिसे मिटाने की या बुझाने, नष्ट करने की कोशिश कई सौ सालों से की गई पर ज्वाला को कोई बुझा नहीं सका ।
मंदिर के खंडहरों के शिलालेखों पर आज भी श्री गणेश भगवान, शिव, माता पार्वती के चित्र हैं और संस्कृत में श्लोक लिखे हुये कोई भी जाकर देख सकता है।
1998 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित किया और 2007 में अजरबेजान सरकार ने इसे राष्टीय धरोहर घोषित किया।