ऑपरेशन डेजर्ट : 2 एजेंट गिरफ्तार, हनीट्रैप के जरिए ISI करवा रही थी जासूसी

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आरोप है कि ये दोनों पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को  भारतीय सेना की रणनीतियों की जानकारी देते थे. 

ऑपरेशन डेजर्ट : 2 एजेंट गिरफ्तार, हनीट्रैप के जरिए Isi करवा रही थी जासूसी

जयपुर: इंडियामिक्स न्यूज़ भारत में पाकिस्तानी (Pakistan) जासूसी नेटवर्क के बड़े खुलासे के बाद अब मिलिट्री इंटेलीजेंस और राजस्थान पुलिस ने सोमवार (8 जून) को 2 सिविल डिफेंस कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है. ये गिरफ्तारी राजस्थान के गंगानगर से हुई है. इन पर आरोप है कि ये दोनों पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को  भारतीय सेना की रणनीतियों की जानकारी देते थे. 

इनमें से एक भारतीय को, मुल्तान की पाक महिला ISI ऑपरेटिव द्वारा सोशल मीडिया पर हनी ट्रेप का शिकार बनाया गया था. यह महिला ISI ऑपरेटिव एक फर्जी फेसबुक अकाउंट चला रही थी जिसमें इस महिला ने खुद को एक हिंदू महिला अनुष्का चोपड़ा के तौर पर दिखाया था. 

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ बेस्ड मिलिट्री इंटेलीजेंस के इनपुट से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार राजस्थान पुलिस ने 29 साल के विकास कुमार और आर्मी के गोला-बारूद डिपो पर काम करने वाले सिविल डिफेंस कर्मचारी चिमन लाल को पकड़ा है. चिमन लाल की उम्र 22 साल है और वह आर्मी की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (MFFR) में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करता है. 

इन दोनों पर पाकिस्तान के ISI के लिए जासूस के रूप में काम करने और पैसे के बदले संवेदनशील जानकारी देने का आरोप है. 

पिछले साल अगस्त 2019 में, सैन्य खुफिया लखनऊ इकाई ने जासूसी एजेंट विकास कुमार के बारे में पता लगाया था जो पाकिस्तान में अपने हैंडलर्स को भारतीय सेना की सैन्य जानकारी दे रहा था. इसमें यह भी पता लगा था कि विकास कुमार को इस जानकारी के बदले पाकिस्तान से पैसे मिलते थे, जिसे विकास अपने भाई के बैंक अकाउंट में डलवाता था. 

मिलिट्री इंटेलीजेंस की लखनऊ यूनिट ने इस केस को राजस्थान पुलिस के साथ जनवरी 2020 में शेयर किया था और इसे सुलझाने के लिए एक ऑपरेशन कोड ‘Desert Chase’ लॉन्च किया गया था. इस ऑपरेशन के तहत विकास कुमार और चिमन लाल की हर गतिविधि को मॉनीटर किया जा रहा था. इसमें पाया गया कि 
कुमार हर रोज MFFR में एक वाटर पॉइंट / पंप हाउस में ‘जल वितरण रजिस्टर’ की तस्वीरें ले रहा था. 

पूछताछ के दौरान कुमार ने बताया कि उसकी महिला फेसबुक दोस्त जोकि एक पाकिस्तानी इंटेलीजेंस ऑपरेटिव है, एक भारतीय व्हाट्सऐप नंबर का प्रयोग कर रही थी. कुमार ने यह भी बताया कि महिला दावा करती थी कि वह मुंबई के एक कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट के हेडक्वार्टर में काम कर रही थी. 

कुमार ने यह भी बताया कि उस महिला के कहने पर उसने कई व्हाट्सऐप ग्रुप को ज्वाइन किया, जिसमें कई डिफेंस के कर्मचारी और सिविल डिफेंस के कर्मचारी थे. 

कुमार के मुताबिक उसे जानकारी देने के बदले में 75 हजार रुपए मिले थे, जिसमें से उसने 9 हजार रुपए चिमन लाल को दिए. 

सूत्रों के मुताबिक किसी शख्स ने यह जानकारी दी थी कि ये व्हाट्सऐप ग्रुप फर्जी हैं, इसके बावजूद विकास ने 7 जून तक उसमें संवेदनशील जानकारी देना जारी रखा. राजस्थान पुलिस दोनों आरोपियों को जल्द ही स्थानीय अदालत में पेश करेगी. 

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